अनुकंपा पर नौकरी देने के नियम में बड़ा बदलाव, अब नहीं लगाना पड़ेगा बाबूओं का चक्कर

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सिटी पोस्ट लाइव : अनुकंपा पर मिलने वाली नौकरी के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा लगाकर थक चुके लोगों के लिए एक बड़ी राहतवाली खबर है. बिहार सरकार ने अनुकम्पा पर होने वाली नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला किया है. सरकार ने अनुकंपा वाली बहाली पर अधिकतम संख्या की सीमा को समाप्त (Max Number Exhausted) कर दिया है. फैसले के अनुसार, अब ऐसी बहाली जरूरत के हिसाब से की जाएगी. सामान्‍य प्रशासन विभाग द्वारा इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. गौरतलब है कि इसके पहले सरकारी सेवकों की मौत होने के बाद उनके आश्रितों को अनुकंपा (Compassionate) के आधार पर नौकरी मिलने में तमाम तरह की दुश्वारियां झेलनी पड़ती थीं. विभिन्न विभाग इस कोटे से बहाली के लिए संख्या तो निर्धारित कर देते थे, लेकिन अगर निर्धारित संख्या से अधिक बहाली की नौबत आती थी तब ऐसी स्थिति में आश्रितों को लंबा इंतजार भी करना पड़ जाता था.

सामान्‍य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार लिपिकीय पदों पर अनुकंपा के माध्यम से होने वाली नियुक्ति में उपलब्ध पदों के प्रतिशत का बंधन पूरी तरीके से खत्म कर दिया गया है, जो नई व्यवस्था लागू की गई है, उसके अनुसार सेवाकाल में किसी कर्मचारी के निधन होने की हालत में उसके आश्रित को निम्न वर्गीय लिपिकीय सेवा में सीधे तौर पर नियुक्ति की जाएगी. इसके लिए आयोग की सिफारिश की भी बाध्यता नहीं होगी. इस प्रक्रिया के तहत भरे जाने वाले पदों के बाद शेष पदों के लिए ही आयोग के पास रिक्तियां भेजी जाएगी.समाहरणालय लिपिकीय सेवा नियमावली सहित विभागों के नियंत्रण वाली लिपिकीय सेवा में अनुकंपा पर बहाली के लिए अलग अलग प्रावधान होने से बहुत परेशानी हो रही थी.सभी के लिए एक तरह का प्रावधान लागू किये जाने की मांग लगातार की जा रही थी.

सरकार ने लापता सेवकों को नौकरी देने के मामले में पटना हाईकोर्ट की सलाह पर बड़ा बदलाव किया है. अप्रैल महीने में लापता सरकारी सेवकों के आश्रितों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी थी.अब वे अपने स्वजन के लापता होने की तारीख से 12 वर्ष बाद तक अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसकी प्रति मुख्यालय के सभी विभागाध्यक्षों के अलावा प्रमंडलीय आयुक्तों को भी दी गई है.

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