सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जेलों से कैदियों की संख्या घटाने के लिए अहम आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य पिछले साल जारी निर्देश का पालन करें. जिन कैदियों को पिछले साल छोड़ा था, उनकी फिर अंतरिम रिहाई हो. जिनको पेरोल मिली थी, उन्हें फिर 90 दिन के लिए छोड़ा जाए. कोर्ट ने इसके साथ ही ये भी साफ किया है कि बहुत जरूरी मामलों में ही गिरफ्तारी होनी चाहिए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पिछले साल नियुक्त कमेटी से कहा है कि नए कैदी जो सशर्त रिहाई की योग्यता रखते हैं, उनकी रिहाई पर भी विचार हो.
अब इस आदेश पर बिहार राज्य सरकार अमल करती दिखाई दे रही है. राज्य सरकार ने इसे लेकर मानक तय किया है. जो कैदी उन मानकों पर सटीक बैठेंगे उन्हें रिहाई मिल सकती है. बता दें पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश की जेलों में 40 हजार कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन 50 हजार से भी ज्यादा है. इससे कैदियों के संक्रमित होने का खतरा है। इस पर हाई कोर्ट ने मामले को राज्य सरकार के समक्ष रखने के लिए कहा था. आदेश पर अमल करते हुए कैदियों को पेरोल पर रिहा करने की व्यवस्था की गई.
गौरतलब है कि बिहार में वैसे तो कोरोना की लहर ठंडी है, लेकिन तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है. राज्य सरकार इसे लेकर पूरी तैयारी में जुट गए हैं, यही नहीं तीसरी लहर के खतरे को लेकर केंद्र सरकार ने भी चिंता जाहिर की है. बताते चलें राज्य सरकार के मानक अनुसार कैदियों को अंतरिम जमानत, जमानत, पेरोल व सजा माफी देकर रिहा किया जा सकता है. जो सात साल या उससे कम सजा के मामले में बंद हैं। जो सीआरपीसी की धारा 436 के तहत बंद किए गए हैं. जो धारा 107, 108 एवं 151 के तहत जेल में बंद हैं। जो 10 साल की सजा प्राप्त हैं, लेकिन गंभीर रूप से बीमार हैं. जो न्यायालय की अवमानना के जुर्म में जेल में बंद हैं।
वहीं सजा माफ़ी पर सरकार ने वैसे कैदियों को चुना है जो दस साल की सजा में नौ साल छह महीने जेल में काट चुके हैं. जो सात साल से ज्यादा और 10 साल से कम सजा प्राप्त पर सजा खत्म होने में पांच माह शेष है. जिन्हें साल से ज्यादा और सात साल से कम की सजा मिली पर सजा पूरी होने में चार माह शेष है। जिन्हें तीन साल से ज्यादा एवं पांच साल से कम सजा मिली पर सजा पूर्ण होने में तीन महीने बचे हैैं। जिन्हें एक साल से ज्यादा और तीन साल से कम सजा मिली पर सजा पूरी होने में दो महीने बचे हैं.