क्या मंत्रियों के लिए भी नीतीश कुमार से डायरेक्ट बात करना है इतना मुश्किल?

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : जिस तरह से मंत्री अधिकारियों पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं और पॉवरलेस होने का सार्वजानिकरूप से रोना रो रहे हैं,ऐसा लगता है कि अपनी बात को सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. नीतीश कुमार से बात करने के बीच में नेता और अधिकारी आते हैं? क्या इसी वजह से करीबी नाराज हो रहे हैं? संगठन से जुड़े पुराने लोग नाराज हो क्यों हो रहे हैं?दरअसल, नीतीश कुमार अपनी पार्टी को हमेशा मजबूत करने में जुटे रहते हैं .लेकिन इसके वावजूद पार्टी में नाराजगी सामने आ रही है.कुछ सीनियर नेता पार्टी छोड़ रहे हैं.ऐसा लग रहा है कि हालात पूरी तरह से उनके काबू में नहीं है.

जेडीयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह को मनाने के लिए नीतीश कुमार ने गोपालगंज से पटना तक नेताओं की फौज उतार दी. उनको मनाने के लिए सीएम आवास पर लाया गया. किसी तरह से नाराज नेताओं को उन्होंने मनाया और मंजीत सिंह जैसा नेता पार्टी छोड़कर RJD में नहीं जा सका.मंजीत सिंह के मामले से पार्टी निपट ही रही थी कि समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इस्तीफे का ऐलान कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरशाही पूरी तरह से हावी है, मंत्रियों की चपरासी तक वैल्यू नहीं देते हैं. मदन सहनी की इन आरोपों के बाद सियासत में सनसनी फैल गई. इसके अलावा भी मदन सहनी ने कई गंभीर आरोप लगाए.
मदन सहनी अकेले ऐसे मंत्री नहीं बल्कि कई मंत्री अफसरशाही से त्रस्त हैं. नीतीश कैबिनेट के बीजेपी कोटे से पीएचईडी मंत्री रामप्रीत पासवान ने ने सुशासन राज में अफसरशाही की कलई खोलकर रख दी.उन्होंने कहा कि अधिकारियों का कॉकस सक्रीय है.उन्हें इगो प्रॉब्लेम है,मंत्रियों का फोन नहीं उठाते. लगता है उन्हें समझ ही नहीं है कि अफसर बड़ा नहीं बल्कि मंत्री बड़ा होता है.उन्होंने कहा कि अफसरशाही से सुशासन की छवि पर बट्टा लगा है.

पार्टी के पूर्व विधायक महेश्वर सिंह ने आरजेडी का दामन थाम लिया. पार्टी के लिए एक और बुरी खबर रही कि दरभंगा के कुशेश्वरस्थान से विधायक रहे शशिभूषण हजारी का निधन हो गया. जोड़-तोड़ करके पार्टी 43 से 46 पर पहुंची थी अब घटकर 45 हो गया.नीतीश कुमार 2005 से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं. अपने दम पर सरकार को चलाते रहे. जिधर चाहा, उधर घुमाते रहे. मगर पहली बार ‘सुशासन’ की मुट्ठी कमजोर लग रही है. इसकी शुरुआत विधानसभा चुनाव रिजल्ट के साथ ही हो गई थी. मगर ऐसी भी बात नहीं कि हालात, मुट्ठी से बाहर हो. नीतीश कुमार सभी गोटियों को फिट करने में माहिर हैं और अपनी इस ‘कला’ का इस्तेमाल जरूर कर रहे होंगे.

Share This Article