सिटी पोस्ट लाइव: डॉ. अजय कुमार पारस एचएमआरआई अस्पताल में यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और प्रत्यारोपण विभाग के निदेशक हैं। ये वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट हैं। पॉम व्यू हॉस्पिटल में भी कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट हैं। वर्ष 2007 से 2008 तक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए)के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2007-10 में कॉमनवेल्थ मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रहे। वर्ष 2008-09 में यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के भी अध्यक्ष रहे। मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया में प्रशासन और शिकायत कोषांग के चेयरमैन पद को भी सुशोभित किया। डॉ. अजय की स्कूली शिक्षा नेतरहाट विद्यालय से हुई है। जीव विज्ञान में संयुक्त बिहार के टॉपर थे। पीएमसीएच से वर्ष 1973 में एमबीबीएस किया। वर्ष 1978 में फैलो रॉयल क्लब ऑफ सर्जन, एडिनबर्ग, इंग्लैंड से एफआरसीएस किया। 1983 तक इंग्लैंड में ही सेवा दी। फिर पटना आ गए। डॉ. अजय मूलतः चंपारण के रहनेवाले हैं, लेकिन पटना में ही बचपन बीता है। पिताजी पटना डिस्ट्रिक्ट बोर्ड में डॉक्टर थे।
प्रश्नः आईएमए के अध्यक्ष के रूप में आपकी क्या उपलब्धि रही?
उत्तरः मैंने आईएमए की सदस्या बढ़ाने पर काफी जोर दिया। इसके लिए काम किया। फिर वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन में भारतीय डॉक्टर के प्रतिनिधि के रूप में अपने देश को स्थान दिलाया। भारत के डॉ. केतन देसाई को वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाने के लिए प्रयास किया। हमने अखबारों में विज्ञापन देकर आईएमए के सदस्यों को सचेत किया कि यदि कोई गलत या अव्यवसायिक काम करेगा तो उनका आईएमए बचाव नहीं करेगा। डॉक्टर के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना है। उसमें ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़े ताकि हादसा होने पर परिवार को आर्थिक मदद दी जा सके। इसके लिए भी काम किया। बिहार में पहले डॉक्टरों का काफी अपहरण होता था। ऐसे में मेरे नेतृत्व में आईएमए का प्रतिनिधमंडल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिला था।
प्रश्नः मर्दों में होनेवाले पेशाब से संबंधित समस्या के बारे में बताएं?
उत्तरः हर उम्र की अपनी-अपनी समस्या है। पेशाब की दिक्कत बच्चों में भी होती है। यदि कोई बच्चा जन्म लेने के बाद सही से पेशाब नहीं कर पा रहा हो या बूंद-बूंद पेशाब गिर रहा हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। संभव है कि पेशाब के रास्ते में जन्मजात मांस हो। पेशाब का दबाव होने पर गुर्दा खराब हो सकता है। युवाओं में सबसे ज्यादा पेशाब करने के दौरान जलन, रूक-रूक कर पेशाब होना, पतली धार में पेशाब होना या रात में कई बार पिशाब करने के लिए उठना आदि समस्या होती है। ये कॉमन समस्या है। ये समस्या प्रोस्टेट ग्रंथी में सूजन की वजह से हो सकता है। पिशाब के रास्ते में कहीं रूकावट या सूजन की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। प्रोस्टेट ग्रंथी छोटी कसेली की आकार की होती है, जो पेशाब की थैली से निकलनेवाले रास्ते को घेरकर रहती है। यदि पेशाब में खून आए। विशेषकर बिना दर्द के तो यह प्रोस्टेट ग्रंथी, गुर्दा या पेशाब की थैली में कैं सर का लक्षण हो सकता है।
प्रश्नः बुजुर्ग अवस्था में पेशाब से संबंधित किस तरह की समस्या होती है?
उत्तरःबुढ़ापे में पेशाब रूक-रूक कर होना, रात्रि में बहुत ज्यादा पेशाब होना, बिछावन पर पेशाब होना या बिना जाने पिशाब निकल जाना आदि समस्या होती है। ये सारी समस्या प्रोस्टेट ग्रंथी के बढ़ने की वजह से या नस की बीमारी होने के कारण पेशाब की थैली के कमजोर हो जाने या अत्यधिक सिकुड़ने से होता है।
प्रश्नः क्या इसका इलाज संभव है?
उत्तरः यदि प्रारंभिक अवस्था में कैंसर की पहचान हो जाती है तो इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। प्रोस्टेट ग्रंथी में सूजन या बढने का इलाज संभव है। नीम-हकीम के चक्कर में ना पड़े। बिना पूर्ण जांच-पड़ताल किए इलाज नहीं करना चाहिए। कभी-कभी खून आना बंद हो जाता है, लेकिन बीमारी बढ़ती रहती है। ज्यादा देर करने पर बीमारी लाइलाज हो जाता है।
प्रश्नः किडनी प्रत्यारोपण में कितना खर्च आता है?
उत्तरः राज्य के बाहर किडनी प्रत्यारोपण में 10 लाख रुपए तक का खर्च आता है जबकि पारस अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण का पैकेज साढ़े छह लाख रुपए का है। किडनी प्रत्यारोपण में बिहार सरकार चार लाख रुपए की मदद देती है। यह राशि ऑपरेशन होने के पहले ही अस्पताल को मिल जाता है। ऐसे में मरीज को ढ़ाई लाख रुपए ही देने होते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मरीज इनकम टैक्स नहीं भरता हो। ऑपरेशन के बाद हर माह दवा पर 18 से 20 हजार रुपए खर्च आता है। सरकार यह राशि भी वहन करने का निर्णय ली है चाहे प्रत्यारोपण बिहार में हो या बाहर।
प्रश्नः एक किडनी के प्रत्यारोपण में कितना समय लगता है?
उत्तरः चार से साढ़े चार घंटा।
प्रश्नः मूत्र रोग के क्षेत्र में इलाज में हाल में क्या ईजाद हुआ है? इलाज कहां तक पहुंचा है?
उत्तरः प्रोस्टेट कैंसर के चिकित्सा में काफी सफलता मिली है। रोबोटिक्स सर्जरी हो रहा है। रेडियोथेरेपी भी हो रहा है। कई नई दवाएं आई गई हैं। इन दवाईयों के इस्तेमाल से रोग से निजात मिल सकता है या लंबी अवधि तक नियंत्रित हो सकता है। पेशाब के रास्ते में मशीन लगाकर ऑपरेशन किया जा रहा है। इससे काफी सुविधा होती है। बिना बेहोश किए ऑपरेशन हो रहा है। इसमें कुछ दिनों के बाद ही मरीज डिस्चार्ज हो जाता है। मूत्र प्रणाली के पथरी के इलाज में करीब-करीब सारे पथरी बिना चीरफाड़ के नई तकनीक से खत्म किया जा सकता है।
प्रश्नः किडनी की समस्या इतनी क्यों बढ़ रही है?
उत्तरः किडनी रोग का एक बड़ा कारण अत्याधिक या अनावश्यक दर्द निवारक दवाइयों का सेवन है। बिना डॉक्टरी सलाह के लोग दर्द निवारक दवा खा लेते हैं। हाईपर टेंशन से भी गुर्दा खराब होता है। बचपन में गुर्दा में इंफेक्शन होने पर भी उम्र बढ़ने पर गुर्दा संबंधित समस्या सामने आती है। अंजाने में भोजन या किसी अन्य माध्यम से हानिकारक तत्व लेने से भी गुर्दे की समस्या होती है।
प्रश्नः गुर्दा या किडनी के ठीक से काम नहीं करने के क्या लक्षण हैं?
उत्तरः वजन घटना, भूख नहीं लगना और हमेशा उल्टी का मन करना गुर्दा सही से काम नहीं करने के मुख्य लक्षण हैं।
प्रश्नः पारस अस्पताल मूत्र या किडनी संबंधी रोगों के इलाज के लिए कितना मशीन से लैस है?
उत्तरः हमारे यहां यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के सारे इलाज मौजूद हैं। यहां आधुनिकतम मशीन है। सिर्फ यहां रोबोटिक्स से सर्जरी नहीं होता है।
प्रश्नः आपकी हॉबी क्या है?
उत्तरः बागवानी मेरा पसंदीदा कार्य है। अब तक 26 सौ पौधे लगा चुका हूं।