सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है.कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग में सरकार 30 हजार से अधिक डॉक्टर कर्मचारियों की नियुक्ति करने जा रही है.करीब साढ़े छह हजार सामान्य और विशेष डाक्टर बहाल किये जायेगें. सूत्रों के अनुसार वर्ष 2021-22 के सितंबर के मध्य तक विभाग ने 6,338 सामान्य और विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति का प्रस्ताव मंजूर किया गया है. इनके अलावा 3,270 आयुष डाक्टरों की बहाली भी होगी. जिसमें आयुर्वेद, होमियोपैथी, यूनानी पद्धति के चिकित्सक होंगें.
करीब 14 हजार एएनएम और जीएनएम की भी बहाली अगले दो महीने में करने की विभाग की योजना है. इसमें 4,671 जीएनएम और 9,233 एएनएम हैं. इन पदों के साथ ही तकनीकी सेवा आयोग के माध्यम से सात हजार पदों पर भी नियुक्ति होगी, जिसके लिए विभाग के स्तर पर तकनीकी सेवा आयोग से आग्रह कर दिया गया है. सामान्य, विशेषज्ञ डाक्टर – 6,338,आयुष डाक्टर – 3,270,जीएनएम – 4,671,एएनएम – 9,233 बहाल होंगे. स्वास्थ्य विभाग ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान परिसर में अवस्थित कैंसर इंस्टीट्यूट के विभिन्न विभागों के लिए शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति के लिए 272 पदों का सृजन किया है. जिस पर मंत्रिमंडल ने भी स्वीकृति दे दी है. इन पदों में रेडिएशन अंकोलाजी, मेडिकल अंकोलाजी, सर्जिकल अंकोलाजी विभाग के प्रोफेसर, सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट समेत कई श्रेणी के पद हैं.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठनों के मानकों के अनुसार प्रति एक हजार की आबादी पर एक डाक्टर होना चाहि.। इसके विरुद्ध देश में 1,456 लोगों पर एक डाक्टर है वहीं बिहार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के अनुसार 28,391 की जनसंख्या पर एक डाक्टर उपलब्ध है.बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में स्वास्थ्य महकमा कई अहम कदम उठा रहा है. स्वास्थ्य विभाग में 30 हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति का फैसला लिया गया है.