सिटी पोस्ट लाइव : 2020 में बिहार में सडक दुर्घटना में तकरीबन 6700 लोगों की मौत हो गयी और 7 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए.2019 में बिहार में 7200 से ज्यादा लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओँ में हो गयी थी. इस साल लगभग इतने ही लोग बुरी तरह घायल भी हुए थे. वहीं 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की तादाद 6729 थी जबकि 6600 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे.दुर्घटना में घायल लोग अक्सर समय से अस्पताल नहीं पहुंचाये जाने की वजह से अपनी जान गवां बैठते हैं.लोग पुलिस के डर से दुर्घटना में घायल लोगों की मदद नहीं करते हैं.अब बिहार सरकार ने दुर्घटना में घायल लोगों की मदद के लिए एक नई योजना की शुरुवात की है.दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुँचानेवालों को सरकार पांच हजार रूपये का ईनाम देगी. बिहार सरकार द्वारा सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की जान बचाने की शुरू की गई इस नयी पहल की तारीफ़ हो रही है.
अब सरकार ने ये तय किया है दुर्घटना में घायल होने वालों को अगर कोई व्यक्ति अस्पताल तक ले जाता है तो उसे पांच हजार रूपये का पुरस्कार दिया जायेगा. बिहार सरकार के परिवहन विभाग ने ये प्रस्ताव तैयार चुका है. जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट में भेजकर औपचारिक फैसला लिया जायेगा. बिहार में हर साल सड़क दुर्घटना से 7 हजार से ज्यादा मौत हो रही है. चिंता की बात ये है कि दुर्घटना के बाद घायल व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचने की संख्या काफी कम होती है.
अगर दुर्घटना के बाद एक घंटे के भीतर घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया जाये तो काफी संख्या में लोगों की जान बचायी जा सकती है. सरकार इसके लिए ही पहल कर रही है. सरकार ने तय किया है दुर्घटना के बाद घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को नगद इनाम दिया जाये.हालांकि ऐसे अच्छे लोगों को सरकार पहले से ही सम्मानित करती रही है. अब तक ऐसे व्यक्तियों को स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाता रहा है. इसी साल गणतंत्र दिवस पर 165 लोगों को सम्मानित किया गया था. जबकि 2020 में 245,2019 में 117 औऱ 2018 में 117 लोगों को सम्मानित किया गया था. सरकार को भरोसा है कि अगर नगद इनाम दिया जाये तो और भी लोग सड़क दुर्घटना में घायल होने वालों की मदद करने आगे आयेंगे.
घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों पर पुलिस कोई दबाव नहीं बनाये, सरकार ये भी सुनिश्चित करने में जुटी है.सडक दुर्घटना में घायलों को पुलिस जबरन गवाह नहीं बना सकती. उन्हें अपना नाम, पता, पहचान बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, अगर ऐसा मददगार व्यक्ति अपनी मर्जी से पुलिस थाने जाता भी है तो उससे सिर्फ एक बार पूछताछ की जा सकती है.