सिटी पोस्ट लाइव : कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के अस्पतालों में इस संक्रमण से उबर रहे लोगों में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़े हैं. डॉक्टर के परामर्श के बिना घर में स्टेरॉयड का सेवन इसका प्रमुख कारण हो सकता है. यह फंगस संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और ‘साइनस’ को प्रभावित करता है.मधुमेह के रोगियों एवं कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए जानलेवा हो सकता है. मधुमेह, वृक्क रोग, यकृत रोग, वृद्धावस्था आदि से कम प्रतिरक्षा वाले लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस अधिक देखने को मिलता है. यदि ऐसे रोगियों को स्टेरॉयड दिया जाता है तो उनकी प्रतिरक्षा और घट जाती है. फंगस को पनपने का मौका मिल जाता है. ;
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महज एक फीसदी संक्रमितों की जान लेता है, जबकि ब्लैक फंगस से मृत्युदर 75 फीसदी है.उन्होंने कहा कि म्यूरकोरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के भी गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इनकी वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएं, स्नायुतंत्र से जुड़े रोग और ह्रदयाघात हो सकता है. म्यूकोरमाइकोसिस गंभीर बीमारी है और उसके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. यदि प्रारंभ में पता चल जाए को ऑपरेशन की जरुरत नहीं पड़ सकती है. फंगस संक्रमण के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी लिपोसोमल अधिकतर दवा दुकानों पर उपलब्ध नहीं है.
पटना में लगातार ब्लैक फंगस के मारीज सामने आ रहे हैं.अब तो इसके मरीजों के लिए पटना एम्स में विशेष वरद भी बना दिया गया है. पिछले तीन चार दिनों में उनके यहां इसके 15-20 मामले आये हैं. रोगियों की सर्जरी और दवाइयों के जरिये ईलाज किया जा रहा है.ज्यादातर मरीजों ने स्टेरॉयड का बेतहाशा इस्तेमाल किया है .बिना डॉक्टर के परामर्श के स्टेरॉयड का सेवन घटक हो सकता है.