वैक्सीन लेने के बाद भी हो रहा है संक्रमण, कितने असरदार हैं टीके?

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वैक्सीन लेने के बाद भी हो रहा है संक्रमण, कितने असरदार हैं टीके?

सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज़ लेने के बाद भी संक्रमण का खतरा बना रहता है.ये संक्रमण इतना खतरनाक भी हो सकता है कि आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़े.लेकिन एक बात तय है कि आपकी स्थिति उतनी गंभीर नहीं होगी जितनी टिका नहीं लेनेवालों की होगी.जाहिर है टिका संक्रमण से आपको नहीं बचाता लेकिन गंभीररूप से बीमार होने से जरुर बचाता है.इसलिए टिका लेने के वावजूद आप हमेशा मास्क इस्तेमाल जरुर करे, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें.

डॉक्टरों के अनुसार टिका लेनेवालों को वेन्टिलेटर पर या आईसीयू में नहीं जाना पड़ रहा है. सही समय पर और वैक्सीन की पूरी डोज़ लेने से जान बच सकती है. तीन फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों ख़ुराकें  दी जा चुकी हैं. लेकिन पूरी वैक्सीन के बाद आने वाले संक्रमण के मामले अब बढ़ते हुए दिख रहे हैं.हेल्थ वर्कर- डॉक्टर, नर्स, अस्पताल और क्लिनिक में काम करने वाले लोगों को ख़ासतौर पर इसका सामना करना पड़ा है.

इस बात में कोई शक़ नहीं है कि कोरोना की वैक्सीन कारगर हैं. ये वैक्सीन संक्रमण से नहीं बचाते लेकिन ज़्यादातर लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने से ज़रूर बचाते हैं.लेकिन टीके 100 प्रतिशत कारगर नहीं होते, ख़ासतौर पर इस तेज़ी से बढ़ती महामारी के दौर में. इसलिए वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण होना आश्चर्य की बीत नहीं.26 अप्रैल तक अमेरिका में 95 लाख लोगों का टीकाकरण हो चुका था. सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक़ इनमें से 9,045 लोगों में ‘ब्रेकथ्रू’ संक्रमण यानी टीके के बाद भी संक्रमण हुआ.835 लोग यानी करीब नौ फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इनमें से 132 यानी एक प्रतिशत की हालत गंभीर थी और उनकी मौत हो गई.

अस्पताल में भर्ती होने वाले एक-तिहाई लोगों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं देखे गए. वहीं जिन 15 प्रतिशत लोगों की मौत हुई उनमें मौत का कारण “न तो कोविड के लक्षण थे और न ही इससे जुड़ा कारण.”भारत में डेटा की कमी है इसलिए इन मामलों से जुड़ी जानकारियां भी कम हैं. लेकिन वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण के बढ़ने की ख़बर है.कुछ मौतों की ख़बर भी है लेकिन ये सीधे तौर पर संक्रमण से जुड़े हैं या नहीं, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है.

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर दस हज़ार लोगों में से दो से चार लोग, जिन्हें टीके की दोनों डोज़ मिली है, वो ब्रेकथ्रू संक्रमण का शिकार हुए हैं. लेकिन ये डेटा अधूरा है- तीन महीने तक वो लोग जिनका टेस्ट किया जा रहा था, उनसे पूछा ही नहीं गया कि उन्होंने वैक्सीन ली है या नहीं. दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल, दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल के आईसीयू में काम करने वाले वैक्सीन ले चुके 60 प्रतिशत डॉक्टर संक्रमित हो गए.हालांकि आईसीयू में काम करने वालीं डॉ. फ़राह हुसैन बताती हैं कि किसी को भी अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत नहीं पड़ी.उनके मुताबिक़, “उन लोगों के परिवार के कुछ लोग बीमार पड़े और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.”

दिल्ली के एक निजी अस्पताल फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल ने एक स्टडी में पाया कि टीका ले चुके 113 में से 15 स्वास्थ्यकर्मी दूसरी डोज़ लेने के 15 दिनों के बाद संक्रमण का शिकार हो गए. इनमें से एक व्यक्ति को ही अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत हुई.स्टडी के को-ऑथर डॉ अनूप मिश्रा के मुताबिक़, “देश में स्वास्थ्य कर्मचारियों में ब्रेकथ्रू संक्रमण के हम कई मामले देख रहे हैं. लेकिन ज़्यादातर मामूली लक्षण वाले मामले हैं, वैक्सीन गंभीर संक्रमण को रोक रही है.”

अभी भी हर्ड इम्यूनिटी दूर तक नहीं दिख रही. हर्ड इम्यूनिटी तब आती है जब एक बड़ी आबादी में बीमारी से प्रतिरोधक क्षमता आ जाती है. ये टीकाकरण से भी हो सकता है और प्राकृतिक रूप से बीमारी के ठीक होने के बाद भी.ऐसे में अगर लोगों में वैक्सीन को लेकर डर बैठ जाए तो ये बड़ी समस्या हो सकती है.वैज्ञानिकों का कहना कि भारत में फैल रही कोरोना महामारी की दूसरी लहर, वायरस के म्यूटेट होने की संभावना और उसके फैलने को और आसान बना देगी. ज़्यादा घातक म्यूटेशन वाले वायरस वैक्सीन से मिलने वाली प्रतिरोधक क्षमता को भेदने में कामयाब हो सकते हैं.कुल मिलाकर वैज्ञानिकों का कहना कि वैक्सीन की असर अलग-अलग हो सकता है, लेकिन ये लोगों को गंभीर बीमारी से बचाने में कारगर साबित हो रहे हैं.लेकिन चूंकि ये मुमकिन है कि पूरी तरह से वैक्सीन ले चुके लोग भी संक्रमित हो सकते हैं और संक्रमण फैला सकते हैं इसलिए सावधानी बरतना जारी रखना होगा. अभी लंबे समय तक भीड़-भाड़ से दूर रहना, मास्क लगाए रखना और बंद जगहों पर इकट्ठा होने से बचना होगा.

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