सिटी पोस्ट लाइव : दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों के जीत पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बधाई दिए जाने को लेकर राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि नीतीश कुमार 2024 की तैयारी में जुट गए हैं. दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों के जीत पर नीतीश ने सोशल मीडिया पर चार पोस्ट किए. इसमें BJP को असम और पुड्डुचैरी के लिए बधाई दी. लेकिन केरल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों को यह जताया कि उनसे रिश्ते बहुत प्रगाढ़ हैं.लेकिन बंगाल में जीत के लिए ममता बनर्जी को बधाई ना देते हुए नीतीश कुमार ने TMC को बधाई दी. इन चार बधाईयों के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं.
राजनीतिक पंडितों के अनुसार नीतीश कुमार की राष्ट्रिय स्तर पर राजनीति करने की इच्छा अभी ख़त्म नहीं हुई है.वो एकबार राष्ट्रिय स्तर पर अभी भी विपक्ष का नेत्रित्व करने की संभावना देख रहे हैं.नीतीश कुमार ने ये संकेत दे दिया है कि क्षेत्रीय पार्टियों में वो एकमात्र चेहरा हैं, जिसको आगे कर विपक्ष मोदी की घेराबंदी कर सकता है.उन्होंने तमिलनाडु के स्टालिन और केरल के विजयन के रिश्ते को लेकर भी साफ कर दिया कि उनसे समर्थन मिल रहा है. लेकिन उन्होंने ममता को छोड़ कर TMC का नाम लिया है क्योंकि उन्हें पता है कि यदि कोई नीतीश कुमार को टक्कर दे सकता है तो वो हैं ममता बनर्जी. ऐसे में यदि 2024 के लिए कोई फ्रंट तैयार हो तो नीतीश कुमार उसके चेहरा बनें, इसकी तैयारी है.
NDA में नीतीश कुमार कंफर्टेबल महसूस नहीं कर रहे हैं, ये बात किसी से छुपी नहीं है. कभी PM मैटेरियल रह चुके नीतीश कुमार एक बार फिर से पूरे देश की क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट कर सकते हैं. इनकी इस मुहिम में साथ उन दलों का मिलेगा जो BJP विरोध की राजनीति करते हैं. पंजाब, महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल सहित वो क्षेत्रीय दल, जो कहीं सत्ता में नहीं लेकिन अपने राज्य में मजबूत पकड़ रखते हैं, वो नीतीश कुमार का साथ दे सकते हैं.गौरतलब है कि RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने से भी विपक्ष मजबूत हुआ है.
लालू यादव की राजनीति BJP विरोधी रही है. बिहार में अपने पुत्र तेजस्वी यादव को स्थापित करने को लेकर लालू खुल कर दांव खेलेंगे. लालू ही थे कि 2013 में जब नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया था तो बाहर से समर्थन देकर JDU को सत्ता में रखा था और 2015 में JDU और RJD ने मिलकर BJP को विपक्ष में धकेल दिया था. ऐसे में यदि लालू यादव की चली तो RJD फिर से सत्ता के गलियारे में पहुंचने में कामयाब होगा. बशर्ते कि नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा देश की राजनीति करने की हो जाए.