18+ के वैक्सीनेशन से देश भर में बढ़ सकता है खून का संकट.

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सिटी पोस्ट लाइव :1 मई से १८साल से ज्यादा उम्र के नौजवानों को कोरोना का टिका लगेगा लेकिन इसके साथ ही देश भर में खून की कमी हो सकती है.दरअसल, वैक्सीन के प्रोटोकॉल के अनुसार वैक्सीन लेने के बाद लोग लगभग दो महीने तक खून नहीं दे पाएंगे. प्रोटोकॉल के मुताबिक कोवैक्सीन की पहली डोज लेने के 56 दिन और कोविशील्ड की पहली खुराक लेने के 70 दिन तक रक्तदान नहीं किया जा सकेगा.जाहिर है ब्लड बैंकों में ब्लड क्राइसिस होगा.

एक मई से सरकार ने 18 वर्ष तक के लोगों को टीकाकरण अभियान में शामिल किया है. रक्तदाताओं में इसी आयु वर्ग के लोग अधिक होते हैं. ऐसे में खून को लेकर पहले से तैयारी नहीं की गई तो एक मई के बाद समस्या बढ़ सकती है. नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल NBTC ने इस संबंध में गाइडलाइन जारी की है. हालांकि इसे लेकर अभी अध्ययन जारी है और इसमें बदलाव भी हो सकता है.बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के रक्त सुरक्षा विभाग के भूतपूर्व संयुक्त निदेशक और पटना मेडिकल कॉलेज के सहायक क्लीनिकल पैथोलॉजिस्ट डॉ देवेंद्र प्रसाद का कहना है कि वैक्सीन लेने वालों के सामने रक्तदान का संकट होगा. वैक्सीन की पहली या दूसरी डोज लेने के बाद उसे संबंधित वैक्सीन के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.

NBTC में यह भी मंथन चल रहा है कि पहली और दूसरी डोज के बीच के समय के प्रोटोकॉल में रक्तदान कराया जाए, लेकिन अभी कोई गाइडलाइन नहीं आई है. कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर अभी मंथन चल रहा है. दिशा-निर्देश में भी समय और आवश्यकता के अनुसार बदलाव हो सकता है.

रक्तदान के क्षेत्र में काम करने वाले मां वैष्णो देवी सेवा समिति के मुकेश हिसारिया का कहना है कि कोरोना काल में ऑपरेशन टल जाते हैं. ऐसे में खून की आवश्यकता थोड़ी कम हो जाती है. मुकेश का कहना है कि कोरोना काल में वैसे भी रक्तदान घट गया है. रक्तदान से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर अभी से नहीं चेता गया तो आगे थैलेसीमिया मरीजों को परेशानी हो सकती है. इसमें कई ऐसे ग्रुप के मरीज हैं, जिनका रक्त काफी मुश्किल से मिल पाता है. लॉकडाउन के दौरान भी ऐसे मरीजों के सामने काफी समस्याएं आई थीं.

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