सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना का संक्रमण हवा की वजह से भी फ़ैल रहा है.हवा से कोरोना फैलने की खबर ने लोगों की नींद उड़ा दी है लेकिन जानकारों का कहना है कि बिलकुल चिंता करने की जरुरत नहीं. थोड़ी सावधानी से आप संक्रमण से बच सकते हैं. गौरतलब है कि मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में छपी स्टडी में दावा किया गया है कि वा के जरिए कोरोना वायरस के फैलने की संभावना ज्यादा है, मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. फहीम यूनुस का कहना है कि लांसेट की स्टडी के बाद चिंता की कोई बात नहीं है. उन्होंने लिखा है, ‘हमें पता है कि कोविड बूंदों से लेकर हवा तक से फैलता है.
डॉ. फहीम का कहना है कि कपड़े के मास्क पहनना बंद कर दें. उन्होंने बताया है, ‘दो N95 या KN95 मास्क खरीदें. एक मास्क एक दिन इस्तेमाल करें. इस्तेमाल करने के बाद इसे पेपर बैग में रख दें और दूसरा इस्तेमाल करें. हर 24 घंटे पर ऐसे ही मास्क अदल-बदल कर पहनें. अगर इन्हें कोई नुकसान न पहुंचे तो हफ्तों तक इनका इस्तेमाल किया जा सकता है.डॉ. फहीम ने साफ किया है, ‘हवा से वायरस फैलने का मतलब यह नहीं है कि हवा संक्रमित है. इसका मतलब है कि वायरस हवा में बना रह सकता है, इमारतों के अंदर भी और खतरा पैदा कर सकता है.’ उनका कहना है कि बिना मास्क के सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पार्क और बीच अभी भी सबसे सुरक्षित हैं.
‘द लैंसेट’ में छपी स्टडी में बताया गया है कि वायरस के सुपरस्प्रेडर इवेंट महामारी को तेजी से आगे ले जाते हैं. इसमें कहा गया है कि ऐसे ट्रांसमिशन का हवा (aerosol) के जरिए होना ज्यादा आसान है बजाय बूंदों के. ऐसे इवेंट्स की ज्यादा संख्या के आधार पर इस ट्रांसमिशन को अहम माना जाता सकता है. क्वारंटीन होटलों में एक-दूसरे से सटे कमरों में रह रहे लोगों के बीच ट्रांसमिशन देखा गया, बिना एक-दूसरे के कमरे में गए.डॉक्टर फहीम महामारी की शुरुआत से ही ट्विटर पर लोगों की परेशानियां कुछ हद तक दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. डॉ. फहीम ने बताया है कि लोग कुछ बातों का पालन करें तो घर पर ही वह इन्फेक्शन को हरा सकते हैं. उन्होंने दावा किया है कि घर पर ही सही तरीके से रहने से 80-90% लोग ठीक हो सकते हैं.
उन्होंने हर रोज तापमान, सांस की गति, पल्स और बीपी नापने की सलाह दी है. ज्यादातर स्मार्टफोन्स में पल्स ऑग्जिमेंट्री ऐप होता है. अगर इसमें ऑग्ज 90 के नीचे हो या बीपी 90 सिस्टोलिक के नीचे जाए, तो डॉक्टर से बात करें. 60-65 की उम्र में हाई बीपी, मोटाबे, मधुमेह झेल रहे लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा होता है.