सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना से सावधान! अगर हॉस्पिटल में भर्ती होने की नौबत आई तो जीवन खतरे में पड़ जाएगा.ज्यादातर लोग तो घरों में ही क्वारंटाइन रहकर स्वस्थ हो जा रहे हैं लेकिन जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है और वो भी निजी अस्पताल में, तब मुश्किल बहुत बढ़ जायेगी क्योंकि कोरोना की जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर जिसकी कीमत महज 5 हजार रुपये है, वह 30 हजार रुपये में बिक रही है.
निजी अस्पताल मरीजों के परिजनों से रेमडेसिविर लाने के लिए कह रहे हैं और बाहर ये दवा आसानी से मिल नहीं रही. जहाँ उपलब्ध भी है, मनमानी कीमत वसूला जा रहा है. रेमडेसिविर एक एंटी वायरल ड्रग है. भारत में क्लीनिकल ट्रायल के लिए इस दवा को मंज़ूरी मिली है. साथ ही इमर्जेंसी में इसके इस्तेमाल की भी अनुमति दी गई है यानी डॉक्टर्स इसे विशेष परिस्थिति में मरीज़ों को दे सकते हैं.रेमडेसिविर ख़ीदना एक आम आदमी के लिए असंभव साबित हो रहा है.रेमडेसिविर कहीं भी उपलब्ध नहीं है और लोग परेशान हैं.
आधिकारिक रूप से रेमडेसिविर की एक शीशी की क़ीमत 5400 रुपए हैं. आम तौर पर एक मरीज़ को इसकी पाँच या छह डोज़ देनी होती है. एक अन्य व्यक्ति ने तो एक शीशी के लिए 38 हज़ार रुपए की बात कही.दुनिया के कई देशों के अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रायल के दौरान ये तथ्य सामने आया था कि रेमडेसिविर कोरोना के लक्षण की अवधि को 15 दिनों से घटाकर 11 दिन कर सकता है. इस कारण भी रेमडेसिविर की मांग बढ़ गई है.
हालांकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ये कोई प्रभावी उपचार नहीं है. लेकिन किसी भी दवा की ग़ैर मौजूदगी में डॉक्टर्स भारत में कोरोना के मरीज़ों के लिए ये दवा लिख रहे हैं. इस कारण दिल्ली और भारत के अन्य शहरों में इसकी मांग बढ़ गई है. इस तरह की मुनाफ़ाखोरी का मुख्य कारण सप्लाई और मांग में बड़ा अंतर है.अमरीका स्थित गिलिएड साइंसेज़ ने मूल रूप से इबोला के इलाज़ के लिए रेमडेसिविर बनाया था. अब इसने भारत की चार कंपनियों सिप्ला, जुबिलिएंट लाइफ़, हिटेरो ड्रग्स और माइलॉन को भारत में ये दवा बनाने की अनुमति दे दी है.लेकिन अभी तक हिटेरो ने ही ये दवा बनाई है. कंपनी ने अभी तक रेमडेसिविर के 20 हज़ार डोज़ पाँच राज्यों को भेजे हैं.