जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही अब स्वतः होगा दाखिल-खारिज, दौडभाग से मिलेगी मुक्ति.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में जमीन विवाद के निबटारे के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.अब 1 अप्रैल से जमीन रजिस्ट्री के बाद स्वतः म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 31 मार्च 2021 को बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय विधिवत इसकी शुरुआत करेंगे . राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसके लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जमीन की रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन की कार्यवाही स्वतः शुरू हो जाएगी.

जमीन के खरीदार को खरीदी गई जमीन के दस्तावेज के साथ अंचल कार्यालय में दाखिल खारिज के लिए अलग से आवेदन देने की जरुरत नहीं होगी. अभी यह सुविधा सिर्फ उन्हीं क्रेताओं को दी जाएगी जिन्होंने जमाबंदीदार रैयत से जमीन की खरीद की हो. वैसे विक्रेता जिनके नाम पर जमाबंदी कायम नहीं है और उनके नाम से रसीद भी नहीं कटता है उनसे अगर जमीन की खरीद करते हैं तो पूर्व की भांति ऑनलाइन म्यूटेशन की प्रक्रिया के तहत दाखिल खारिज कराना होगा.

स्वतः म्यूटेशन की सुविधा का लाभ लेने वाले खरीदारों को एक प्रपत्र भरकर रजिस्ट्री ऑफिस में देना पड़ेगा. इस प्रपत्र में प्रत्येक विक्रेता की जमीन जमाबंदी और व्यक्तिगत व्यवहार कर स्वतः म्यूटेशन के लिए अपनी सहमति देना होगा. सहमति पत्र भरकर देने के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से म्यूटेशन की कार्यवाही की जाएगी.एन आई सी के अधिकारियों ने बताया कि जमीन की रजिस्ट्री होते ही डेटा और प्रपत्र जो क्रेता भरकर देगा उसी दिन म्यूटेशन पोर्टल पर स्वतः चला जाएगा .फिर वहां से कर्मचारी के लॉगिन में पहुंच जाएगा. जमीन का दस्तावेज पीडीएफ फॉर्मेट में निबंधन कार्यालय के सॉफ्टवेयर में रहेगा, किंतु उसका लॉगिन राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मियों की पहुंच में होगा. अर्थात म्यूटेशन सॉफ्टवेयर में उपलब्ध लिंक के जरिए खरीद की दस्तावेजों का अवलोकन किया जाएगा.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह के अनुसार रैयत को पहले दो प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था. पहला निबंधन और फिर म्यूटेशन, अब एक ही बार में दोनों काम हो जाएगा .अगर विक्रेता अपने नाम से जमाबंदी करा लेते हैं तो इससे विक्रेता और क्रेता दोनों को सहूलियत होगी. साथ ही जमाबंदी को अद्यतन कराने के विभाग के प्रयासों को भी बल मिलेगा. ऑनलाइन म्यूटेशन की समय सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. पहले की तरह सामान्य मामलों में 35 दिन एवं आपत्ति विवाद की सूरत में 75 दिन होगा. दस्तावेज अधूरा होने की स्थिति में आवेदक को कागजात प्रस्तुत करने के लिए अलग से ऐसे मैसेज भेजने की शुरुआत भी 26 मार्च से शुरू हो रही है.

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