सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के नौवें दिन बुधवार को सदन में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर के जवाब पर हंगामा हुआ। भाजपा विधायक बिरंची नारायण के एक सवाल के जवाब में पेयजल मंत्री ठाकुर ने कह दिया कि उन्हें पता ही नहीं है कि चापाकलों की मरम्मत कौन सा विभाग कराता है।
मंत्री के जवाब पर विपक्ष का हंगामा, इस्तीफे की मांग
भाजपा विधायक बिरंची नारायण का सवाल था कि राज्य में कितने चापाकल खराब हैं। कितनों की मरम्मती का काम चल रहा है और गर्मी आने के पहले कब तक इन्हें ठीक कर लिया जायेगा। इस पर मंत्री ने उन्हें आंकड़े बताये। फिर बिरंची नारायण ने पूछा कि सांसद और विधायक निधि से लगने वाले चापाकलों की मरम्मत कौन कराता है। इस पर मंत्री ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि सांसद-विधायक मद से लगने वाले चापाकलों की मरम्मत कौन कराता है।
मंत्री के इस जवाब पर हंगामा शुरू हो गया। बिरंची नारायण ने कहा कि जब मंत्री को अपने ही विभाग की जानकारी नहीं है, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मंत्री को जवाब नहीं पता था, तो सवाल को अगले दिन के लिए रखा जा सकता था। यह कैसा जवाब है कि मंत्री को पता ही नहीं कि चापाकल कौन बनायेगा। इस पर दोनों तरफ से बहुत देर तक हंगामा हुआ। इसके बाद सत्ता पक्ष के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम को सरकार के बचाव के लिए आगे आना पड़ा।
इस बीच भाजपा विधायक सीपी सिंह खड़े हो गये और आसन को संबोधित कर कहने लगे कि आसन हमेशा मंत्री के जवाब से संतुष्ट हो जाता है, फिर विपक्ष के पास क्या रास्ता रह जाता है। इसे लेकर विधानसभा अध्यक्ष और सीपी सिंह के बीच नोकझोंक हुई। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीपी सिंह हमेशा आसन पर आरोप लगाते रहते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। इस पर फिर हंगामा होने लगा। इसी बीच स्टीफन मरांडी उठे और आसन से आग्रह किया कि राज्य में जहां भी जिस भी मद से जो भी चापाकल लगे हैं, उनकी मरम्मत विभाग ही करे, यह आदेश दिया जाये।
स्टीफन की इस बात पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर फिर खड़े हो गये और कहा कि सांसद और विधायक निधि से जो भी चापाकल लगते हैं, वे विभाग की मर्जी से नहीं लगा कर अपनी मर्जी की एजेंसियों से लगवाये जाते हैं। इसमें बहुत सी विभिन्नताएं होती हैं। इस पर फिर से भाजपा विधायक खड़े हो गये और शोर-शराबा होने लगा। बाद में संसदीय कार्यमंत्री अलमगीर आलम खड़े हुए और कहा कि सांसद-विधायक मद से जो भी चापाकल लगाये जाते हैं, वे भी पीएचइडी नॉर्म्स पर ही लगाये जाते हैं। इसलिए विभाग सभी चापाकलों की सूची बनाये और सबकी मरम्मत का जिम्मा विभाग ही उठाये।