57 एकड़ भूमि विस्थापितों को वापस करने का आदेश

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड में विभिन्न कंपनियों ने कोयला खनन और ऊर्जा तथा इस्पात संयंत्र स्थापित करने के नाम पर सैकड़ों एकड़ भूमि अधिग्रहित की है, लेकिन कई कंपनियों ने वर्षा तक जमीन को अपने कब्जे में रखा और शर्त्तां के मुताबिक कंपनी स्थापित नहीं की। ऐसे कंपनियों से भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अब जमीन वापस लेने की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है। इसी क्रम में हजारीबाग में हजारीबाग के बड़कागांव अंचल के पसेरिया मौजा में अधिग्रहित 56.88 एकड़ को वापस लेने का आदेश पारित किया गया है।

भूमि, राजस्व एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल ख्यांग्ते ने बताया किमुख्यमंत्री द्वारा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) 1908 की धारा 49 (5) के तहत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को पीठासीन पदाधिकारी बनाया है। पीठासीन पदाधिकारी सह मंत्री चंपई सोरेन की अदालत ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के तहत हजारीबाग जिले के बड़कागांव अंचल के पसेरिया मौजा में ज्वाइंट वेंचन की कंपनी रोहाने कोल कंपनी प्रा. लि . जिसके हिस्सेदार जेएसडब्ल्यू स्टील लि., भूषण पावर एंड स्टील लि और जय बालाजी इंडस्ट्रीज लि. थे। इस कंपनी द्वारा अधिग्रहित भूमि में कंपनी द्वारा की गयी एकरार के अनुसार कार्य नहीं किये जाने के कारण रैयतों से ली गयी जमीन को न्यायालय द्वारा रैयतों को भूमि वापसी का आदेश पारित किया गया है।

जिन रैयतों को जमीन वापस लेने का निर्देश दिया गया है, उसमें पसेरिया नवाटोली के हाकिम सोरेन समेत 6 रैयतों की 5.29एकड़ भूमि, बरबनिया मौजा में फागु मांझी व 4 रैयतों की 3.39एकड़, देमका मांझी व एक रैयत की 1.60एकड़, करनी देवी व 6 रैयतों की 17.28एकड़, अजय सोरेन व 5 रैरूतों की 20.47एकड़, पसेरिया मौजा में जगदीश मांझी व 1 रैयत की 5.10एकड़ और राजेंद्र सोरेन  व 3 रैयतों की 3.66एकड़ भूमि शामिल है। इस तरह से कुल 26 रैयतों की 56.88एकड़ भूमि वापस लौटाने का आदेश दिया गया है।

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