सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना घोटाले के बाद अब एक और नया फर्जीवाड़ा सामने आया है. ये नया फर्जीवाड़ा विधानसभा चुनाव के खर्च में किया गया है. मामला तब पकड़ में आया जब लोकसभा चुनाव की तुलना में कई गुना ज्यादा राशि का बिल एजेंसियों ने दे दिया. इस मामले की जांच शुरू हो गई है. बता दें जो बिल एजेंसियों ने दिया है उसमें खर्च की सीमा अनाप-शनाप दी गई है. इतना ही नहीं अर्द्धसैनिक बल के जवान जिस जगह पर ठहरे नहीं हैं, वहां भी टेंट पंडाल लगाने का बिल दे दिया है. दस दोपहिया वाहनों का नंबर बस का बताकर बिल दिया गया.
बिहार विधानसभा के चुनाव के लिए पटना जिले में 7346 मतदान केंद्र बनाए गए थे. इसके लिए अर्द्धसैनिक बलों की 215 कंपनियां आई थीं. इन्हें ठहराने के लिए 400 जगह चिह्नित किए गए थे. यहां हुए खर्च के लिए एजेंसियों ने 42 करोड़ रुपये का बिल दे दिया था. बाद में सत्यापन कमेटी ने इसे घटाकर 31 करोड़ 40 लाख कर दिया. हालांकि, तब भी डीएम ने पाया कि लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार दस गुना ज्यादा खर्च हुए हैं. इसके बाद डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने पुन: अधिकारियों को निर्देश दिया कि मामले की अपने स्तर से जांच करें.
बिहार विधानसभा चुनाव प्रदेश के 6 जिले ऐसे हैं, जहां सबसे अधिक खर्च दिखाया गया है. इनमें गया, बांका, पूर्वी चंपारण, कैमूर, सीतामढ़ी और दरभंगा शामिल हैं। खर्च के मामले में पटना जिले का स्थान दसवें नंबर पर है. जानकारों का कहना है कि जिन एजेंसियों को पटना जिले में तीन पंडाल लगाने के लिए चयनित किया गया था, उनमें से एक एजेंसी प्रदेश के दो अन्य जिले में भी काम की है. इसीलिए इन जिले में भी फर्जीवाड़े की आशंका है. हालांकि यह मामला निर्वाचन आयोग के संज्ञान में आ गया है.