City Post Live
NEWS 24x7

खास रिपोर्ट : बिहार बोर्ड दशकों से बच्चे-बच्चियों के भविष्य से कर रहा है खिलवाड़

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

शिक्षा घोटाला एक अलग विषय और रिजल्ट घोटाला एक अलग विषय, बिहार बोर्ड दशकों से बच्चे-बच्चियों के भविष्य से कर रहा है खिलवाड़, पैसे पर 1 से लेकर 10 तक के टॉपर और डिवीजन का चलता है खेल, हर साल होते हैं आंदोलन, नतीजा सिफर, रूबी रॉय और गणेश के मामले ने बिहार शिक्षा व्यवस्था की काटी थी नाक

सिटी पोस्ट लाइव, पटना : बिहार की शिक्षा प्रणाली और व्यवस्था का एक जमाने में विश्व मुरीद था। गुरुकुल परम्परा हो या फिर नालंदा और तक्षशिला की शिक्षा व्यवस्था। आज भी वह शिक्षा व्यवस्था एक नजीर है और इतिहास के पन्ने से अपने गौरव की कहानी बयां करने में समर्थ है। लेकिन दशकों से कहें,तो बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। हालिया वर्षों में तो शिक्षा व्यवस्था संक्रमण काल से गुजर रहा है। मैट्रिक और इंटर का परीक्षाफल जिस तरह से बिहार बोर्ड विगत कुछ वर्षों से जारी कर रहा है, जैसे किराए पर मजदूर रखकर मलबे की सफाई करा रहा है। जिस परीक्षाफल से छात्र-छात्राओं का भविष्य और समूचा जीवन जुड़ा हुआ है, उसपर सक्षम और समर्थ शिक्षकों को लगाया जाना चाहिए। कांपियों का मूल्यांकन निसन्देह पारदर्शी,तटस्थ और योग्य शिक्षकों से कराया जाना चाहिए। लेकिन विगत कुछ वर्षों के पुख्ता सबूत हमारे पास हैं जिसमें मैट्रिक और इंटर की कांपियों की जांच प्राथमिक और मध्य विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिकाओं ने की है। यही नहीं संस्कृत के शिक्षक गणित, समाजशास्त्र के शिक्षक-शिक्षिकाएं भौतिकी की कांपी जांचते रहे हैं। यानि स्कूल-कॉलेज में कोई और विषय पढ़ाने का जिम्मा है जिन्हें,वे किसी और विषय की कांपियों का मूल्यांकन करते रहे हैं।

इस बार तो बेहतर के नाम पर और हद बात हो गयी। 50 अंक वाले खण्ड में 68 और 35 खण्ड वाले में 38 अंक दिए गए हैं। जीरो अंक भी रेबड़ी की तरह बांटे गए हैं। बहुत ऐसे परीक्षार्थी हैं, जिन्होनें परीक्षा तो दी है लेकिन उन्हें अनुपस्थित दिखाया गया है। बार कोडिंग के नाम पर अलग से धांधली हुई है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सह भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने तो इस परीक्षाफल को लेकर ना केवल बिहार सरकार पर तल्खी से तंज कसे हैं, बल्कि इस परीक्षाफल पर घोर आपत्ति जताई है। बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा तो मूक और बधिर बने हुए हैं। आनंद किशोर भी कोई सफाई नहीं दे रहे हैं। इस बार के परीक्षाफल से बिहार के सभी जिलों के परीक्षार्थियों में खासा आक्रोश है। जगह-जगह उग्र आंदोलन के साथ-साथ बोर्ड कार्यालय में भी परीक्षार्थियों ने जमकर तोड़फोड़ की है। यह सब क्या हो रहा है नीतीश बाबू। “बिहार में बहार है,नीतीशे कुमार है” इस स्लोगन को अब पूरी तरह से पलीता लग रहा है।सरकार का पूरा तंत्र विफल साबित हो रहा है। सभी सरकारी महकमे में लूट अब संस्कृति बन चुकी है। नीतीश बाबू बांकि विभाग को छोड़िए, जिस विभाग से देश और राज्य का भविष्य जुड़ा हुआ है, उस शिक्षा विभाग को ईमानदारी से दुरुस्त कीजिये। आपके हृदय के द्वार को रूबी रॉय और गणेश प्रकरण में ही खुल जाने चाहिए था। लेकिन आप तो सत्ता का ट्वेंटी-ट्वेंटी, वन डे और टेस्ट मैच खेलने में लगे हैं।

वरिष्ठ सलाहकार संपादक मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.