सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना काल जहां लाखों करोड़ों लोगों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत साबित हुई, वहीं एक ऐसी भी लड़की और उसका परिवार है, जिसने इस काल में दुःख तो झेला,लेकिन इस दुःख के बाद जो खुशी और शोहरत मिली वो अपने आप में एक मिसाल है. हम बात कर रहे हैं कोरोना काल में सबसे साहसी दरभंगा की बेटी ज्योति कुमारी की. जिसे लोग आज साईकिल गर्ल के नाम से जानते हैं. गुरुग्राम से अपने बीमार पिता को साइकिल पर लेकर बिहार स्थित अपने गांव लौटने वाली देश-दुनिया में साइकिल गर्ल के नाम से प्रख्यात हो चुकी ज्योति कुमारी को पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से नवाजा जाएगा.
राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2021 से सम्मानित होने की खबर सुनकर ज्योति के गांव सिरहुल्ली ही नहीं, सम्पूर्ण मिथिलांचल में खुशी की लहर है. ज्योति के घर फिर एक बार उत्सवी माहौल है. ज्योति को तो मानो खुशी के पंख लग गए हैं. उसके परिवार के सारे सदस्य मां और पिता सहित सभी फूले नहीं समा रहे. ज्योति ने बताया कि उसने श्रद्धा भाव से अपने बीमार पिता की सेवा की और उनकी जान बचाने को साइकिल से घर पहुंचने का निर्णय लिया. इसमें वह सफल भी हो गयी। उसे उसके सच्ची सेवा और साहसिक कर्म का ईनाम मिला है.
बता दें 1 साल से भी कम समय में ज्योति की किस्मत कितनी बदल गई है, इसका अंदाजा उनके गांव जाने से पता लगता है. जिस ज्योति का परिवार लॉकडाउन से पहले तक महज एक कमरे में रहता था, वह आज तीन मंजिली इमारत का मालिक है. ज्योति के पिता मोहन पासवान खुद बताते हैं कि जब उनकी बेटी सिर्फ ज्योति थी और साइकिल गर्ल के नाम से मशहूर नहीं थी, तब उनका परिवार पूरी तरह से अभाव में जिंदगी जीता था. एक छोटे से कमरे में 9 लोगों का परिवार बमुश्किल गुजर-बसर कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन ने पूरे परिवार के हालात भी बदल दिए. जाहिर है साहस और मेहनत का फल मीठा होता है, उसी मीठे स्वाद को ज्योति एकबार महसूस कर रही है.