सिटी पोस्ट लाइव : उत्तर बिहार में अपने आप में एक स्थान रखने वाला रीगा चीनी मिल को अचानक बंद हो जाने से यहां के लोगों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। जिसे लेकर यहां के लोगों ने अपने अपने दुकान को बंद कर इसका विरोध किया है. लोगों का कहना है कि इस मिल को बंद हो जाने से इनके जीवन पर काफी असर पड़ेगा। रीगा का एक मात्र चीनी मिल जिसपर जिले के किसान से लेकर परोस जिले के किसान इस मिल पर निर्भर थे। सरकार व मिल प्रबंधन के उदासीनता के कारण यहां का एक मात्र उद्योग आज बंद हो गया। जिसे पुनः चालू कराने को ले कई सामाजिक संगठन ने आज के बंदी में अपनी सहभागिता दी है। जिस दौरान रीगा इखो उत्पादक संघ के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह के अध्यक्षता में मिल चौक को जाम कर बंदी को सफल बनाया गया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि इस मिल को बंद हो जाने से रीगा के 40000 किसान, मिल के 1700 मजदूर के साथ यहां के 500000 आवादी पर इसका असर पड़ने वाला है। इस मिल को बंद हो जाने से यहाँ का रौनक पूरी तरह समाप्त हो जाएगा क्योकि यहां का बाजार पूरी तरह इस मिल पर निर्भर है। इसे बंद हो जाने से यहां के सभी चौक चौराहों पर चोर उचक्कों का बसेरा हो जाएगा। सरकार को इस मिल को चालू कराने पर उचित पहल करते हुए इसे अविलम्ब चालू कराया जाना चाहिए। उन्होंने पास के जिले के मिल का उदाहरण देते हुए बताया कि उस जिले की स्थिति देख लें, जहां कभी मिल के चालू रहने से वहां ली रौनक क्या थी और आज के स्थिति में वहां किं स्थिति क्या है। अगर उस स्थिति में यहां को बचाना है तो इस मिल को पुनः चालू करने में सरकार के साथ साथ मिल प्रबंधन को पहल करनी चहिए। जिससे यहां के अस्तित्व के साथ साथ यहां के किसानों का भी भला हो सके।
सीतामढ़ी से आदित्यानंद आर्यकी रिपोर्ट