आइसा ने रोजगार मांगे इंडिया अभियान का किया आगाज, एमजेके कॉलेज में हुई बैठक

City Post Live - Desk

आइसा ने रोजगार मांगे इंडिया अभियान का किया आगाज, एमजेके कॉलेज हुई बैठक

सिटी पोस्ट लाइव : चम्पारण जिला के एमजेके कॉलेज परिसर में आइसा द्वारा कार्यक्रम आयोजन किया गया। जिसमें छात्रों और नौकरी चाहने वालों ने ‘रोजगार मांगे इंडिया’ के बैनर तले एक नया अभियान शुरू किया है। वे सभी रोजगार के अपने अधिकारों की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। आज के समय में भारतीय शिक्षा प्रणाली ऐसी हो गई है कि यह न तो छात्रों को ज्ञान प्रदान करती है न ही नौकरी देती है। हाल के दिनों में, शिक्षा प्राप्त करना, विशेषकर उच्च शिक्षा को पाना आम लोगों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है और इनकी बढ़ती लागतों का कारण भी मध्यम आय वर्ग ही है। नौकरी कम हैं और नौकरी चाहने वालों की संख्या लाखों में है। उस पर, शैक्षणिक संस्थानों में सीटों में कटौती तथा सरकारी व निजी दोनों ही क्षेत्रों में नौकरियों की कमी ने इन युवाओं के हजारों सपनों को तोड़ दिया है।

इन सब परिस्थितियों ने इन छात्रों को न्याय की मांग करने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है।
वर्तमान में बेरोजगारों की स्थिति के मद्देनजर सब ने एसएससी घोटाले के खिलाफ हाथ से हाथ मिलाकर ‘रोजगार मांगे इंडिया’ के तहत एकजुटता का प्रदर्शन किया। छात्रों ने सरकार से सवाल किया कि सरकार द्वारा प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियों का वादा कहां गया? इस आंदोलन के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने फिर से सरकार के सामने अपनी मांगें रखी और धमकी दी है कि आने वाले समय में यह आंदोलन पूरे देश में फैलेगा। इस आंदोलन की प्रमुख मांगें सभी खाली पदों को 2019 तक भरना चाहिए। भर्ती के वार्षिक कैलेंडर का पालन करने के लिए भर्ती एजेंसियां को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाना चाहिए।निजी कंपनियों को आनुपातिक रोजगार दिये बिना लाभ निकालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।भर्ती एजेंसियों में भ्रष्ट माफियाओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

आइसा के जिला प्रभारी सुनील यादव ने कहा कि नौकरी में कटौती व वर्तमान में रोजगार की समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जरा आप उस स्थिति की कल्पना कीजिए, इस साल पचास हजार नौकरियों के लिए आयोजित एसएससी परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए दो करोड़ उम्मीदवारों ने आवेदन किया। और इन नौकरियों के लिए परीक्षा होने से पहले ही प्रश्न पत्र लीक हो गया। पटना में, संयुक्त स्नातक स्तर और संयुक्त उच्चतर माध्यमिक स्तर की दोनों परीक्षाएं परीक्षा शुरू होने से आधे घंटे पहले रद्द कर दी गई थीं। पिछले पांच सालों में, परीक्षा पत्र लीक होने की वजह से एसएससी को आंशिक रूप से या पूरी तरह से नौ परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी हैं। पिछले हफ्ते, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। इस समिति की सोच एसएससी पर भारी पड़ी।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘परीक्षाओं को रद्द करना उम्मीदवारों और सरकारों दोनों के प्रयासों और संसाधनों की पूरी तरह से बर्बादी है और ऐसी घटनाएं आम जनता की आंखों में कमीशन की छवि को धूमिल कर देती हैं।’’ इसमें आगे कहा गया कि, ‘‘परीक्षा प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखा जाना चाहिए और यह आमतौर पर महत्वपूर्ण भी होता है कि परीक्षा प्रक्रिया में जनता और परीक्षार्थी के विश्वास को किसी भी कीमत पर बनाए रखा जाये।’’ इस समिति ने एसएससी को सभी प्रकार के भ्रष्टाचार और तकनीकी खामियों से मुक्त परीक्षाओं के लिए सभी तरह के प्रयास करने की सिफारिश की है। जहां एक ओर एसएससी परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्र एसएससी में भ्रष्ट व्यवस्था की वजह से संघर्ष कर रहे हैं, वहीं यूपीएससी में बड़े पैमाने पर सीटों की कटौती पिछले कुछ सालों में, 500 से अधिक सीटों को कम कर दिया गया है, जो अब 1,200 से घटकर लगभग 700 पर आ गई हैं।

यूपीएससी में ‘‘पिछले कुछ सालों से, हम सीटों की संख्या में कटौती देख रहे हैं। 1200 से ज्यादा सीटें थीं जो अब लगभग घटकर 700 हो गई हैं। मेरा मानना है कि यूपीएससी की नौकरियों का मतलब केवल व्यवसाय ही नहीं है। ये नौकरियां सामाजिक न्याय के मुद्दे से जुड़ी हुई हैं क्योंकि यह हाशिए पर आये विभिन्न समुदायों को देश की सर्वोच्च संस्थाओं में खुद का प्रतिनिधित्व करने का मौका देती हैं। यूपीएससी सीटों में इतनी बड़ी कटौती से, मुझे लगता है कि उम्मीदवारों के लिए यह परीक्षा पास करना बहुत कठिन हो गया है।’’ देशभर में हजारों शिक्षण पद खाली हैं और उन्हें भरने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। भारतीय शिक्षा प्रणाली को कर्मचारियों की कमी की वजह से पहले से ही प्रभावित किया जा चुका है। सालों तक, शिक्षकों को अस्थायी पदों पर रखा जाता है और स्थायी नहीं किया जाता है।

एमजेके कॉलेज के महासचिव निखिता कुमारी ने बताया, नौकरी की सभी, संभावनाओं पर एक संपूर्ण हमले के जैसा है। देश के युवाओं को केवल रोजगार के नाम पर जुमला ही मिला है जिनसे हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया गया था। इसके अलावा वास्तव में यह शर्मनाक बात है कि इस देश के हजारों युवा एसएससी घोटाले के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के विभिन्न हिस्सों में अधिक से अधिक सभाएं करेंगे और लोगों को नौकरियों के मुद्दे पर एक साथ एक मंच पर लाने की कोशिश करेंगे।इनके अलावे आइसा जिला अध्यक्ष संजीत कुमार, एमजेके कॉलेज के काउंसिल सदस्य जयकिशोर राम, प्रिंस कुमार, आकाश कुमार, विवेक कुमार,सोनू कुमार, आदित्य शौरभ ने भी अभियान को सफल करने पर बल दिया।

बेतिया सतेंद्र पाठक की रिपोर्ट 

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