दल-बदल मामले में स्पीकर के न्यायाधिकरण में हुई सुनवाई

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में सोमवार को दल-बदल मामले में सुनवाई हुई। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम) सिंबल पर चुनाव जीत कर आये विधायक बाबूलाल मरांडी के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के कांग्रेस में शामिल होने के निर्णय को दल-बदल का मामला मानते हुए स्पीकर की ओर से तीनों विधायकों को नोटिस जारी किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधीकरण में आज हुई सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता एस. सहाय उपस्थित हुए। बाद में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में स्पीकर की ओर से जारी नोटिस बाबूलाल मरांडी की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है, इस कारण न्यायाधिकरण से सुनवाई के लिए वक्त देने का आग्रह किया गया।

उन्होंने बताया कि 12 नवंबर को बाबूलाल मरांडी की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर नोटिस को चुनौती दिया गया, लेकिन कोरोना संक्रमण के मद्देनजर नयी व्यवस्था के तहत उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए दायर याचिका को 48घंटे तक बक्से में रखा जाता है और फिर उस पर निर्णय लिया जाता है, इस बीच 13 नवंबर से दीपावली और छठ की छुट्टी हो गयी, अब उनकी ओर से यह कोशिश की जाएगी कि जल्द से जल्द सुनवाई हो सके।

वहीं विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की ओर से न्यायाधिकरण में उपस्थित अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने बताया कि उनकी ओर से न्यायाधिकरण में यह तर्क दिया गया कि जेवीएम के तीन में से दो विधायकों का कांग्रेस में विलय पूरी तरह से संविधान सम्मत है। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग की ओर से भी विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा गया है, जिसमें ये विधायक किस पार्टी के है, इसका निर्धारण करने की जिम्मेवारी विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी गयी है।

उन्होंने बताया कि बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता की ओर से समय देने का आग्रह करने पर न्यायाधिकरण की ओर से मामले में सुनवाई की अगली तिथि 17 दिसंबर निर्धारित की गयी है। कांग्रेस में शामिल विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के अधिवक्ता की ओर से न्यायाधिकरण में यह भी तर्क दिया कि झारखंड में वर्ष 2014 में भी जेवीएम के आठ में से छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गये थे, उस मामले में भी सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण ने इसे दल-बदल नहीं, बल्कि  दो-तिहाई विधायकों के बीजेपी में विलय को वैद्य माना था। इस बार भी दो-तिहाई विधायकों का कांग्रेस में हुआ है।

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