सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को राष्ट्रीय आदिवासी सरना धर्म रक्षा अभियान के प्रतिनिधिमंडल ने कोटि-कोटि बधाई दी । इस मौके पर उन्होंने आदिवासी सरना धर्म के प्रतीक के रूप में मुख्यमंत्री को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया । मुख्यमंत्री ने आदिवासी सरना समाज द्वारा मिले सहयोग पर आभार जताते हुए कहा कि कल का दिन हम सभी के लिए काफी ऐतिहासिक था । झारखंड विधानसभा से सरना आदिवासी धर्मकोड का जो प्रस्ताव पारित हुआ है, उसे लेकर ना सिर्फ बल्कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा समेत कई इलाकों में लोग काफी उत्साहित हैं और खुशियां जाहिर कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि इस दिशा में यह पहला कदम है । हमें कई और सीढ़ियां चढ़नी है । हमें उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि हमने जो कदम बढ़ाएं हैं , उसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देगी ।
सुखद अनुभूति हो रही है
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी सरना धर्मकोड को लेकर वे पिछले 15 दिनों से लगातार प्रयासरत थे । बार-बार चिंता हो रही थी कि कैसे आदिवासी सरना धर्मकोड का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजा जाए । इसके लिए लगातार विचार विमर्श करता आ रहा था ।लेकिन कल विधानसभा से आदिवासी सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने पर सुखद अनुभूति हो रही है ।इससे मन को शांति और दिल को काफी सुकून मिला है ।
विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली है गई है
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना आदिवासी धर्मकोड का प्रस्ताव तो झारखंड विधानसभा से पारित करा लिया गया है ,लेकिन अभी कई लड़ाइयां लड़नी है । केंद्र सरकार से इसे हर हाल में लागू कराना है ताकि आगामी जनगणना में इसे शामिल किया जा सके । इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली है । आदिवासी सरना समाज को उसका हक और अधिकार मिले, इसके लिए हमारे कदम कभी नहीं रुके हैं । हम आगे बढ़ते ही रहेंगे ।
आप सभी के साथ आगे भी करेंगे विचार विमर्श
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी सरना धर्मकोड के प्रावधानों को लागू करने में अभी कई अड़चनें हैं। इन बाधाओं को कैसे दूर किया जाए, इसके लिए आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के साथ आगे भी विचार विमर्श किया जाएगा । मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जनजातीय परामर्श दात्री परिषद का गठन कर इस मामले पर राय मशविरा होगी ताकि आदिवासी हितों को हम पूरा कर सके । मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मामले को पार्टी और धर्म से ऊपर उठकर देख रहे हैं और इसमें सभी का सहयोग लिया जा रहा है ।
समाज को एकजुट करने का काम हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज को देश के स्तर पर एकजुट होने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं । बदलते वक्त के साथ आदिवासी समाज का जनप्रतिनिधित्व पंचायत से देश के स्तर पर बढ़ रहा है, जो एक सुखद संदेश है ।
राज्य को आगे ले जाने का संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपने हमें जो जिम्मेवारी दी है , उसे पूरा करेंगे । राज्य को आगे ले जाने का संकल्प लिया है । इस दिशा में हमें सफलता भी मिल रही है । उन्होंने कहा कि अगर नीयत साफ होगी तो सभी अड़चनें भी दूर होती जाएगी ।
कई स्तरों पर अभी लड़ाई लड़नी है
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने बहुत संघर्ष किए हैं । संघर्षों की बदौलत बहुत कुछ प्राप्त भी किया है , लेकिन इस दिशा में हमें और बहुत कुछ करना है । आदिवासी समाज के बौद्धिक , सामाजिक, राजनीतिक सांस्कृतिक विकास के लिए कई और मोर्चों पर लड़ाइयां लड़नी है ताकि हमारी समृद्ध कला, संस्कृति और परंपरा रही है ,उसे अक्षुण्ण रखने के साथ विश्वस्तर पर पहचान दिलाई जा सके । मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए आगे आने वाली पीढ़ी को जागरूक होना होगा ।
संघर्षों का परिचायक है आदिवासी समाज
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज संघर्षों का परिचायक है ।जब देश गुलाम था तो आदिवासी वीरों ने देश की आजादी के लिए हुंकार भरी थी और अपनी जान की परवाह किए बगैर अंग्रेजों से लोहा लिया था । मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में आदिवासी समाज अपने हक और अधिकार के लिए समय समय पर जगते रहे हैं ।यही वजह है कि आदिवासी सरना धर्मकोड के लिए आपने जो आवाज बुलंद की है उसकी गूंज बहुत दूर तक जाएगी ।
राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा ने भी आभार जताया
सरना आदिवासी धर्मकोड का प्रस्ताव विधानसभा से पारित होने पर राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार आभार जताया । उन्होंने मुख्यमंत्री को सरना पूजा का प्रतीक चिन्ह और सप्रेम पुस्तक भेंट की । मुख्यमंत्री को बधाई देने वालों में सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा , डॉ करमा उरांव, सुशील उरांव , सोमा मुंडा, नरेश मुर्मू, शिवा कच्छप , जयपाल मुर्मू , रवि तिग्गा , निर्मल पाहन, संजय तिर्की, चंपा कुजूर, रेणु उरांव, बलकु उरांव , प्रदीप तिर्की, कमल उरांव, दुर्गावती और नारायण उरांव समेत राष्ट्रीय आदिवासी सरना धर्म रक्षा अभियान और अंतरराष्ट्रीय संथाल परिषद के कई और प्रतिनिधि मौजूद थे।