सिटी पोस्ट लाइव, रांची: मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज वादों के त्वरित निवारण के लिए 20 न्यायालय गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हजारीबाग,रांची, धनबाद और देवघर जिले में पहले ही विशेष न्यायालय गठित हो चुकी है । अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1988 की संशोधित धारा-14 (1) शक्तियों के अधीन दर्ज वादों के त्वरित निवारण के लिए रांची, हजारीबाग, धनबाद और देवघर को छोड़कर सभी न्यायमंडलों में विशेष न्यायालय गठित किए जाएंगे. उक्त चार जिलों में पहले से ही विशेष न्यायालय का गठन किया जा चुका है. इन न्यायमंडलों को छोड़कर अन्य 20 न्यायमंडलों में विशेष न्यायालय के गठन को लेकर विधि विभाग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मंजूरी दे दी है.
किस न्यायमंडल में कितने वाद हैं लंबित
राज्य के 24 न्यायमंडलों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कुल 1953 वाद लंबित हैं. इस साल 31 जुलाई तक बोकारो में 30, चतरा में 51, चाईबासा में 34, पलामू में 218, देवघर में 77, धनबाद में 321, दुमका में 46, गढ़वा में 138, गिरिडीह में 163, गोड्डा में 71, गुमला में 61, हजारीबाग में 208, जमशेदपुर में 39, जामताड़ा मे 42, खूंटी में 9, कोडरमा में 5, लातेहार मे 51, लोहरदगा में 27, पाकुड़ में 28, रामगढ़ में 58, रांची में 187, साहेबगंज में 60, सरायकेला में 24 और सिमडेगा में 5 वाद लंबित हैं।