सिटी पोस्ट लाइव : विधानसभा चुनाव में बूथों पर पारा मिलिट्री फोर्स की तैनाती रहेगी। चुनाव के मद्देनजर फोर्स की तैनाती का खाका लगभग तैयार कर लिया गया है। बूथों पर सुरक्षा का जिम्मा पार मिलिट्री फोर्स के जवान संभालेंगे। इनके साथ दूसरे राज्यों से आए भी स्पेशल फोर्स को भी बूथों पर तैनात किया जाएगा।
पहले चरण में बिहार के 71 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाने हैं। 28 अक्टबूर को होनेवाले चुनाव में कई इलाके नक्सल प्रभावित हैं। लिहाजा, सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह चरण सबसे संवेदनशील है। खासकर औरंगाबाद, गया, लखीसराय और जमुई में नक्सलियों के खिलाफ विशेष रणनीति के तहत काम किया जा रहा है।
पारा मिलिट्री फोर्स और राज्य की विशेष पुलिस बल की लगभग 1100 कंपनियां बिहार पहुंच चुकी हैं। बचे हुए बल भी एक-दो दिन में आ जाएंगे। शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव की खातिर बिहार को सुरक्षाबलों की 1200 कंपनियां मिली हैं, जिसमें 45 पहले से यहां तैनात थी। चुनाव की घोषणा के बाद बिहार को एरिया डोमिनेशन के लिए पारा मिलिट्री फोर्स की 300 कंपनी मिली थी। दूसरी बार फिर से 300 कंपनियां भेजी गईं।
कुछ दिनों पहले चुनाव के लिए ही 600 कंपनी और भेजने का आदेश दिया गया। शुरुआत के दो चरणों में आई फोर्स को विभिन्न जिलों में एरिया डोमिनेशन के काम में लगाया गया है। वहीं अब जो फोर्स बिहार आ रही है उन्हें मतदानवाले क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। बाकी के फोर्स भी चुनाव वाले क्षेत्रों में भेजे जा रहे हैं। बिहार पुलिस के जवानों को चुनावी ड्यूटी के लिए पुलिस लाइन में योगदान कराया जा रहा है। वहीं से जिला बल के जवान और अधिकारी मतदान वाले क्षेत्रों में भेजे जाएंगे।
ट्रेजरी, बैंक रिजर्व गार्ड और कोर्ट सुरक्षा में तैनात जवानों को छोड़ बाकी सभी को चुनाव ड्यूटी पर लगाने के आदेश दिए गए हैं। इन्हें पुलिस लाइन में योगदान कराया जा रहा है। वहीं से उन्हें प्रतिनियुक्ति वाले जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जाएगा। चुनाव में बूथों की सुरक्षा के अलावा भी बड़ी संख्या में फोर्स की जरूरत होती है। स्टैटिक के अलावा कई बूथों को मिलाकर पेट्रोलिंग पार्टी की व्यवस्था रहेगी। माना जा रहा है कि जिला पुलिस व बीएमपी के जवानों को बूथ से इतर चुनाव ड्यूटी पर लगाया जाएगा।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस और पारा मिलिट्री फोर्स की तैनाती की जाएगी। मतदान केन्द्रों तक जानेवाले रास्तों में चुनाव से पहले ही रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) कमान संभाल लेगी। इसमें सुरक्षाबलों की कई टीमों को लगाया जाएगा। नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थित बूथों पर बड़ी संख्या में सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों की तैनात की जाएगी।