सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड के तदेन निदेशक निरंजन कुमार, तदेन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह के कांड दर्ज करने तथा दिए गए सुझाव के साथ अनुसंधान करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी। ज्रेडा में पदस्थापित रहे इन पदाधिकारियों के खिलाफ पद के दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने का आरोप है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) इन पदाधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपी की प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट सौंप चुकी है।
मुख्यमंत्री ने झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (अतिरिक्त प्रभार- प्रबंधन निदेशक, झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड) के तदेन निदेशक निरंजन कुमार , ज्रेडा के तदेन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद, विद्युत कार्यपालक अभियंता, टीवीएनएल ( प्रतिनियुक्ति-ज्रेडा) तदेन परियोजना निदेशक, श्रीराम सिंह के विरुद्ध पद के दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने के आरोप के मामले में कांड दर्ज करने और दिए गए दो सुझावों के साथ अनुसंधान के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। इन सुझावों के तहत अनुसंधानकर्ता द्वारा अनुसंधान के क्रम में सभी आरोपी पदाधिकारियों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा तथा अनुसंधान तथा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा ऊर्जा विभाग के द्वारा इस मामले को लेकर गठित समिति के प्रतिवेदन में दिए गए तथ्यों को विचार करने का आदेश दिया है।
एसीबी ने की है प्रारंभिक जांच
इन पदाधिकारियों के विरुद्ध पद का दुरुपयोग करने संबंधी परिवाद पत्र दायर किया गया था. इसके आलोक में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को प्रारंभिक जांच के लिए प्राधिकृत किया गया था. एसीबी ने परिवाद पत्र में दर्ज सभी आरोपों की प्रारंभिक जांच कर तथ्यों के साथ अबतक उपलब्ध साक्ष्य एवं दस्तावेजों के आधार पर तीनों पदाधिकारियों के विरुद्ध विस्तृत अनुसंधान के लिए कांड अंकित करने की अनुशंसा की थी.
प्रशासी विभाग ने समिति का किया गठन
एसीबी द्वारा प्रतिवेदन समर्पित किए जाने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने उसकी समीक्षा करने के उपरांत संबंधित प्रशासी विभाग (ऊर्जा) की सहमति- मंतव्य प्राप्त कर कांड दर्ज करने हेतु अनुमति की मांग की गई. इसके लिए ऊर्जा विभाग को जांच प्रतिवेदन भेजा गया. इसके आलोक में ऊर्जा विभाग द्वारा तीनों आरोपी पदाधिकारियों से पक्ष (प्रतिवेदन) मांगा गया. उनके द्वारा पक्ष रखे जाने के बाद विभाग की ओर से उसकी समीक्षा को लेकर समिति का गठन किया गया. इस समिति ने मामले की समीक्षा करने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को प्रतिवेदन समर्पित कर दिया. ऐसे में विभागीय मंतव्य को एसीबी द्वारा विचारित करने तथा कांड दर्ज करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति दे दी है.