सिटी पोस्ट लाइव : एनडीए से बाहर होकर चिराग पासवान ने एनडीए के घटक दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद एलजेपी नेता पीएम मोदी के तस्वीरों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनके काम के नाम पर वोट मांगते दिख रहे हैं। इतना ही नहीं बीजेपी के कैडर वोटर भी एलजेपी के साथ ही खड़े दिख रहे हैं ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किलें नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की ही बढ़ती दिख रही हैं । वैसे भी चिराग पासवान ने कह भी दिया है कि वे किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को फिर से बिहार का सीएम नहीं बनने देंगे।
एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान ने एलान कर रखा है कि ‘पीएम मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं।’ जमीनी लेवल पर उनकी पार्टी अपने नेता के इस एजेंडे को पूरी तरह से हकीकत में उतारती दिख रही है और कही न कही सफल होती भी दिख रही है। जेडीयू के सामने कही न कही एलजेपी के उम्मीदवार कई सीटों पर दमदार नजर आ रहे हैं और तो और बीजेपी के निचले स्तर के कैडर वोटरों का भी चिराग पासवान को खूब सहारा मिल रहा है। इसका नजारा भी कई जगह देखने को मिल रहा है। एलजेपी प्रत्याशी के नॉमिनेशन में बीजेपी के समर्थक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। एलजेपी के उम्मीदवारों ने जेडीयू के साथ-साथ वीआईपी और HAM के भी पसीने छुड़ा दिए हैं।
खबरों के मुताबिक एलजेपी के कार्यकर्ता सीधे तौर पर पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल करने से जरूर बच रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी के नाम और काम का इस्तेमाल जमकर कर रहे हैं। एलजेपी के उम्मीदवार लोगों को बता रहे हैं कि बिहार में नीतीश कुमार से छुटकारा पाने और बीजेपी का सीएम बनाने के लिए उनका जीतना जरूरी है। हालांकि बीजेपी बार-बार चेतावनी जरूर दे रही है कि पीएम मोदी के नाम और काम का इस्तेमाल करना एलजेपी को महंगा पड़ेगा। बीजेपी के सीनियर लीडर ने एक बार फिर चिराग पासवान को चेतावनी देते हुए कह दिया है कि पीएम मोदी के तस्वीर और नाम का इस्तेमाल केवल एनडीए के चार घटक दल ही कर सकते हैं। लेकिन एलजेपी बहुत ज्यादा सुनने के मूड में नहीं दिखती।
वैसे देखा जाए तो पिछले कई चुनावों से लगभग 5 फीसदी वोटों पर एलजेपी की दावेदारी हमेशा से रहती है। विधानसभा चुनावों में जीत का मार्जिन भी बहुत ज्यादा नहीं रहता । ऐसे में जिस एजेंडे पर चिराग पासवान का पार्टी काम कर रही है वैसे में जेडीयू को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकती है और खुद फायदे में न रही तो आरजेडी को तो जरूर फायदा पहुंचा सकती है।चिराग पासवान की पार्टी के साथ जिस तरह बीजेपी के कई दिग्गज नेता यथा राजेन्द्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया और डॉ उषा विद्यार्थी समेत कई नेता आ खड़े हुए हैं वैसे में कई सीटों पर जेडीयू का समीकरण बिगड़़ता ही दिख रहा है।
चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल कर बिहार विधानसभा चुनाव में मुकाबले को बिल्कुल दिलचस्प बना दिया है। अगर खबरिया चैनलों के पूर्वानुमान की बात करें तो वे एनडीए की सरकार एक बाऱ फिर बनाते दिख रहे हैं। लेकिन चिराग पासवान ने जो दांव खेला हैं इससे इस चुनाव में उनकी जमीन जरूर मजबूत होती दिख रही है साथ ही साथ तेजस्वी यादव को भी मजबूती मिल रही है। बिहार में भविष्य के नेता के तौर पर ये दोनों इस चुनाव में तेजी से उभर कर सामने आ सकते हैं।