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कुचायकोट में है दो बाहुबलियों के बीच कांटे का मुकाबला, कौन मारेगा बाजी ?

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सिटी पोस्ट लाइव : एलजेपी नेता स्वर्गीय रामविलास पासवान के करीबी रहे बाहुबली नेता काली पांडेय ने एलजेपी का दामन छोड़  कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। काली पाण्डेय कांग्रेस में शामिल होकर कुचायकोट से कांग्रेस के सिंबल पर चुनावी मैदान में उतर गए हैं। काली पांडेय रामविलास पासवान के सबसे करीबी थे। लेकिन रामविलास के निधन के बाद उन्होंने एलजेपी को छोड़ दिया। चिराग पासवान के एनडीए छोड़ने के फैसले का वह विरोध कर रहे थे। लेकिन चिराग अपने फैसले पर कायम थे 143 सीटों पर लड़ने का फैसला किया।

जेडीयू के प्रत्याशी पप्पू पाण्डेय की तरह ही काली पांडेय का लम्बा चौड़ा अपराधिक रिकॉर्ड है। 1989 में अपने प्रतिदंद्धी नगीना राय पर बम से हमला करने का आरोप भी उनके ऊपर लगा था। गोपालगंज से काली पांडेय 1984 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़कर सांसद बने थे। 2003 में वह एलजेपी में शामिल हो गए। तब से वह रामविलास के करीबी माने जाते थे।  काली पांडेय उत्तर बिहार के सबसे बड़े बाहुबली नेता रह चुके हैं। उनकी एक जमाने में तूती बोलती थी। उनकी क्राइम स्टोरी पर एक फिल्म भी बन चुकी है. जिसका नाम था प्रतिघात। यह फिल्म 1987 में आई थी।

इसबार उनका मुकाबला वर्तमान में बिहार के सबसे बड़े बाहुबली सतीश पाण्डेय के बाहुबली भाई जेडीयू विधायक पप्पू पाण्डेय के साथ है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि काली पाण्डेय पप्पू पाण्डेय की कितनी कड़ी टक्कर दे पाते हैं। इसबार यहां महागठबंधन और NDA के बीच कांटे की टक्कर है।जनता को दो बहुबलियोंमे से ही किसी एक को चुनना है।

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