इस भिखारी की तनख्वाह एक सरकारी शिक्षक से कई गुना ज्यादा है

City Post Live

सिद्धांत ने परिवार का बोझ कम करने के लिए भीख मांगने का फैसला लिया.सिद्धांत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कहेगें.उनका कहना है कि जब लोग मदद नहीं कर सकते तो उन्हें ये पूछने का अधिकार कैसे है कि मैं क्या करता हूँ.सिद्धांत महीने में 30000 रुपये कमाते हैं .उन्हें अपने अपाहिजपन पर अफसोश नहीं

सिटी पोस्ट लाईव: बिहार में एक भिखारी की कमाई एक सरकारी स्कूल के शिक्षक से कई गुना ज्यादा है.गया के सिद्धांत बचपन से पोलियो के शिकार हैं.बचपन में ही उनका दाहिना पैर पोलियो से खराब हो गया था. मिट्टी के दिए बना कर घर का खर्च चलाने वाली मां  बेटे के इलाज के सारे जातां कर थक हार चुकी थी. सिद्धांत ने परिवार का बोझ कम करने के लिए भीख मांगने का फैसला लिया.सिद्धांत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कहेगें.उनका कहना है कि जब लोग मदद नहीं कर सकते तो उन्हें ये पूछने का अधिकार कैसे है कि मैं क्या करता हूँ.

सुनने से तो अजीब लगता है .एक भिखारी की कहानी मैं आपको क्यों बता रहा हूँ.जरा धैर्य  रखिये ,आपको खुद पता चल जाएगा. सिद्धांत 200 रुपए में लाउड स्पीकर लगा हुआ एक साइकिल-रिक्शा किराए पर लेते हैं. जब उनकी भीख से हुई कमाई 1200 रुपए से ऊपर हो जाती है तो वह रिक्शे वाले को किराया चुका कर घर लौट जाते हैं.अब आप जरुर समझ गए होंगें कि एक भिखारी की कहानी ख़ास क्यों है ? नहीं समझे ,अरे भई इस भिखारी की महीने की कमाई महीने की ३६०० हजार रुपये है.६००० रुपये ये रिक्शा का किराया देते हैं.३०००० महीने का नेट बचत है.यानी बिहार सरकार के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक से कई गुना ज्यादा.

जी हां, 25 साल के सिद्धांत को परिवार का पेट पालने के कोई नौकरी नहीं चाहिए. वह भीख मांग कर हर महीने तीस हजार रुपए कमाता है.सिद्धांत ने कहा कि मैं बिहार सरकार की ओर से मिलने वाली 600 रुपए की मामूली सी आर्थिक मदद से आखिर क्यों गुजर-बसर करूं. मैं बगैर किसी काम के रोजाना एक हजार रुपए कमाता हूं. फिलहाल मैं अपने हालात से खुश हूं. मैं जीवन भर अपने अपाहिजपन पर रोने वाला नहीं.इश्वर ने मेरे साथ जो कुछ भी किया मैंने उसे ही अपने भविष्य संवारने का जरिया बना लिया.सिद्धांत भीख जरुर माँगते हैं लेकिन लोग उन्हें हिकारत की नजर से नहीं देखते.उनका कहना है कि अपने देश में तो अच्छे भले लोगों के हाथ पैर काटकर भीख मंगवाया जा रहा है.जब सरकार के पास उनके लिए समय नहीं है तो मैं क्यों सरकार से मदद की उम्मीद करूं .

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