बिहार में नीतीश कुमार नहीं दे सके रोजगार, फिर दूसरे राज्यों में चले बेरोजगार

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव: कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए मार्च में पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था. लॉकडाउन लगते ही बिहार के लाखों प्रवासी मजदूर बहुत ही बेबसी में अपने घरों को लौट गए थे. उस दौरान बिहार सरकार ने दावा किया था कि इन मजदूरों को बिहार में ही काम उपलब्ध करवाया जाएगा लेकिन इसके बावजूद ये मजदूर फिर से अपने काम पर दूसरे प्रदेश में लौटने के लिए मजबूर हैं. ख़ास बात यह है कि यह मजदूर हवाई जहाज़ से अपने काम पर लौट रहे हैं. इन मजदूरों को फ्लाइट की टिकट कंपनी की ओर से दी जा रही है.

लगभग से 6 महीना पहले उन तस्वीरों को याद कीजिये जब कोरोना और लॉकडाउन के वजह से लाखों की संख्या में मजदूर पैदल बहुत ही बेबसी में बिहार लौट रहे थे. उन मजदूरों के आँखों में आंसू थे और दिल मे एक दर्द था. उन मजदूरों को लौटने के बाद बिहार सरकार की ओर से दावे किए जा रहे थे कि सभी मजदूरों को उनके हुनर के अनुसार काम दिया जाएगा लेकिन इसके बाद भी रोजाना हज़ारो की संख्या में मजदूरों का बिहार से पलायन लगातार जारी है. पटना एयरपोर्ट से रोजाना सैकड़ो मजदूर हवाई जहाज़ से दूसरे राज्यों में काम के लिए रोज़ाना रवाना हो रहे हैं. ख़ास बात यह है कि इन मजदूरों को फ्लाइट की टिकट भी कंपनी की ओर से दी जा रही है.

कोरोना के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री रोजाना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इन मजदूरों का हाल लेते थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान इन मजदूरों के साथ गाना गाया था कि नून-रोटी खायेंगे, जिंदगी यहीं बितायेंगे. बिहार छोड़कर नहीं जायेंगे. मगर सरकार के तमाम कथित प्रयासों पर इन मजदूरों का भरोसा नहीं जम पाया, उन्होंने फिर से वही पुराना पलायन का रास्ता चुन लिया है. इस साल आयी बाढ़ ने उनके इस निश्चय को और भी मजबूत ही कर दिया है. और इस तरह वह भ्रम भी टूट गया, जो लोगों ने मजदूरों की वापसी के बाद पाल लिया था कि रिवर्स माइग्रेशन की शुरुआत हो चुकी है. रोजाना पटना एयरपोर्ट से सैकड़ो मजदूर दूसरे राज्यों में काम के लिए जा रहे हैं. वही हाल रेलवे स्टेशन का भी है जहाँ से हज़ारो श्रमिकों का पलायन जारी है. कुछ कंपनियों ने तो मजदूरों के वापसी के लिए लक्सरी बस तक उनके गाँवो में भेज रही है ताकि उनको बुलाया जा सके. मजदूरों का कहना है कि अपना घर छोड़ने का मन किसी को नहीं करता लेकिन पेट के लिए जाना पड़ता है.

इन सबके बीच सबसे बड़ा और अहम सवाल है कि आखिर बिहार के लोग पलायन क्यों करते हैं ? मजदूरी के लिए, छोटी-छोटी नौकरियों के लिए,  पढाई के लिए, बेहतर इलाज के लिए, अमूमन हर गुणवत्ता पूर्ण काम के लिए बिहार से बाहर चले जाते हैं. यहां बेहतर जीवन का मतलब ही पलायन है और राज्य से बाहर बस जाने वाले बिहार के लोग ही राज्य में सुखी संपन्न माने जाते हैं. ये तमाम लोग कभी न शिकायत करते हैं, न बदलाव की कोशिश करते हैं. वे कभी सरकार पर इस बात का. दबाव नहीं बनाते कि उन्हें अपने राज्य में रोजगार के बेहतर अवसर, अच्छी पढाई, अच्छा इलाज, ढंग की नौकरी चाहिए. बस बिहार छोड़ कर चले जाते हैं. सरकार इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार है क्योंकि सरकारों ने बेहतर बिहार बनाने के लिए काम नहीं किया और ये लोग अपने परिवार और बच्चों से दूर बिहार से बाहर जाने के लिए विवश है.

Share This Article