रघुवंश प्रसाद सिंह की RJD से नाराजगी की ये है खास वजह, नहीं मिला लालू का साथ.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव :पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के साथ दुःख सुख की घड़ी में हमेशा खड़ा रहनेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री  रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) ने आरजेडी से इस्तीफा दे दिया है. उनकी नाराजगी की कई वजहें हैं. एक वक्त था जब रघुवंश प्रसाद सिंह की आरजेडी में तूती बोलती थी. उनकी हैसियत इतनी ही थी कि लोग उन्हें लालू प्रसाद के बाद दूसरा सबसे बड़ा नेता मानते थे. लेकिन, लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के साथ ही रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी की राजनीति में हाशिये पर चले गए. बदले दौर की राजनीति में तेजस्वी यादव का नया नेतृत्व आया तो उसके साथ तालमेल नहीं बैठा.

रघुवंश प्रसाद सिंह का तेजस्वी यादव के साथ कई मसलों पर मतभेद कईबार सामने आ चुके हैं.वर्ष 2019 के चुनाव के दौरान आया जब तेजस्वी ने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया तो रघुवंश प्रसाद सिंह ने इसका तत्काल  प्रतिकार किया. बावजूद इसके तेजस्वी अपने स्टैंड पर कायम रहे. माना जाता है कि तेजस्वी की ये बड़ी भूल थी और यही वजह रही कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी को एक भी सीट नहीं मिली.एक वजह ये भी है कि रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं. दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी संगठन में बदलाव किया जाना था तो रघुवंश प्रसाद सिंह ने जगदानंद सिंह को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया था. तेजस्वी यादव की पसंद के कारण यहां लालू यादव ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया और जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बन गए.

जगदानंद सिंह ने इसके बाद कई तरह के अनुशासन लागू किए जिसका रघुवंश प्रसाद सिंह ने लगातार विरोध किया और कहा कि कार्यकर्ता पार्टी से दूर होते जा रहे हैं. हालांकि उनकी जगदानंद सिंह की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया और रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी बढ़ती चली गई.वर्ष  2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी की करारी शिकस्त के बाद लगातार  हाशिए पर चले गए रघुवंश प्रसाद सिंह को उम्मीद थी कि उन्हें राज्यसभा भेज दिया जाए जाएगा, लेकिन लालू ने भूमिहार जाति से आने वाले करोड़पति  अमरेंद्र धारी सिंह और अपने पुराने राजदार प्रेमचंद गुप्ता को राज्यसभा भेज दिया. इस फैसले से वे और उनके समर्थक बेहद नाराज हुए. ये कहा जाने लगा कि पार्टी ने अपने जमीनी नेताओं को तवज्जो देना बंद कर दिया है. जाहिर है रघुवंश प्रसाद सिंह राजनीतिक तौर पर आरजेडी से और भी दूर होते चले गए.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा के बाहुबली नेता रामा सिंह ने वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह को हरा दिया था. बेदाग छवि के रघुवंश प्रसाद सिंह को इससे गहरा राजनीतिक झटका लगा. अब जब चर्चा ये चली कि तेजस्वी यादव रामा सिंह को राजद में लाने वाले हैं तो रघुवंश बाबू ने इसका विरोध किया है. इसके बाद आग में घी का काम ये भी कर गया कि रामा सिंह ने साफ कह दिया है कि उनकी आरजेडी में एंट्री तय है और उन्हें कोई रोक नहीं सकता है. इसके साथ ही उन्होंने रघुवंश प्रसाद सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि उनका राजद में क्या योगदान है, इसकी मुझे भी पूरी जानकारी है.RJD में रह कर कभी रामविलास पासवान का विरोध किया तो महगठबंधन में रह कर नीतीश कुमार का. अब नीतीश कुमार उन्हें अच्छे लगने लगे हैं. रामा सिंह के मामले में तेजस्वी यादव और रामा सिंह की चुप्पी ने रघुवंश सिंह की नाराजगी और बढ़ा दी.

लोकसभा चुनाव 2019 के पहले से ही रघुवंश प्रसाद सिंह अक्सर कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार को महागठबंधन में रहना चाहिए और उन्हें ही इसका चेहरा भी रहना चाहिए. ये बाद अक्सर आरजेडी नेताओं को नागवार गुजरती है. इसकी एक वजह ये भी है कि तेजस्वी यादव का राजनीतिक भविष्य तभी आगे बढ़ेगा जब वह सीधे तौर पर नीतीश की छत्रछाया से बाहर निकल आएंगे. हालांकि रघुवंश प्रसाद सिंह ये मानते रहे हैं कि पहले पार्टी बढ़ेगी तो नेतृत्व परिवर्तन भी अवश्य होगा. नीतीश कुमार को वे तेजस्वी का राजनीतिक गुरु बनवाने की वकालत करते रहे हैं. हालांकि इस बात की गहराई को वे तेजस्वी यादव या अन्य आरजेडी नेताओं को समझा नहीं पाए.

इस मसले पर लालू यादव की इस मुद्दे पर खामोशी भी रघुवंश प्रसाद सिंह की पहल को खारिज करने के लिए काफी है. जाहिर है इस मसले पर भी रघुवंश प्रसाद सिंह अकेले दिखे.लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे  तेज प्रताप यादव की उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक प्रकरण के कारण लालू परिवार की काफी किरकिरी हुई है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने बावजूद इसके हमेशा चंद्रिका राय और लालू परिवार के बीच रिश्ते बनाए रखने की वकालत की. हालांकि तेज प्रताप यादव तलाक की बात पर अब भी अडिग हैं. जाहिर है तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं द्वारा लगातार उन्हें तरजीह नहीं दिया जाना भी नाराजगी की एक बड़ी वजह रही है. रघुवंश प्रसाद सिंह हर वक्त खुद को असहज महसूस करते रहे. इस बीच रामा सिंह के आरजेडी में एंट्री प्रकरण पर पूछे गए सवाल के जवाब में जब तेज प्रताप यादव ने कहा कि पार्टी एक समुद्र के समान होता है उसमें से एक लोटा पानी निकलने से समुद्र को कोई फर्क नहीं पड़ता तो रघुवंश सिंह की नाराजगी और बढ़ गई.फिर क्या था उन्होंने आख़िरकार RJD से इस्तीफा दे दिया.

Share This Article