सिटी पोस्ट लाइव : जेईई और नीट परीक्षा लिए जाने का विरोध अब तक कई छात्रों द्वारा किया जा रहा था. अब इन परीक्षाओं के विरोध में दिल्ली सरकार भी कूद गई है. दिल्ली सरकार ने छात्रों के सुर में सुर मिलाते हुए इस वर्ष NEET और JEE की परीक्षाएं रद्द किए जाने की मांग की है. दिल्ली ने केंद्र से कहा है कि इन परीक्षाओं के स्थान पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था लागू की जाए. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहा, JEE और NEET की परीक्षा के नाम पर केंद्र सरकार लाखों छात्रों की जिंदगी से खेल रही है. मेरी केंद्र से विनती है कि पूरे देश में ये दोनो परीक्षाएँ तुरंत रद्द करें और इस साल एडमिशन की वैकल्पिक व्यवस्था करे.
इससे पहले देश भर के हजारों छात्रों ने इन परीक्षाओं पर अपना विरोध जताते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री से यह परीक्षाएं रद्द करने की अपील की थी. मंत्रालय द्वारा परीक्षाएं रद्द न करवाए जाने पर छात्रों ने अदालत का भी रुख किया. ये परीक्षाएं अगले माह सितंबर में होनी हैं, लेकिन अब दिल्ली सरकार द्वारा आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद इन परीक्षाओं का विरोध और तेज हो गया है. सिसोदिया ने कहा, अभूतपूर्व संकट के इस समय में अभूतपूर्व कदम से ही समाधान निकलेगा. ये सोच कि केवल NEET और JEE परीक्षा ही एडमिशन का एकमात्र विकल्प है, बेहद संकुचित और अव्यवहारिक सोच है.
सिसोदिया ने इन परीक्षाओं का विरोध करते हुए कहा कि दुनिया भर में शिक्षण संस्थान एडमिशन के नए-नए तरीके अपना रहे हैं. हम भारत में क्यों नहीं कर सकते. बच्चों की जिंदगी प्रवेश परीक्षा के नाम पर दांव पर लगाना कहां की समझदारी है. आज 21वीं सदी के भारत में हम एक प्रवेश परीक्षा का विकल्प नहीं सोच सकते, यह सम्भव नहीं है. दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया केवल सरकार की नीयत छात्रों के हित में सोचने की होनी चाहिए, नीट और जेईई परीक्षाओ की बजाय अन्य सुरक्षित तरीके तो हजार हो सकते हैं.
वहीं आम आदमी पार्टी के विधायक एवं दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा (Raghav Chadha) भी खुलकर इन परीक्षाओं के विरोध में उतर आए हैं. राघव चड्ढा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय पर निशाना साधते हुए कहा,एक छात्र समर्थक सरकार कभी भी छात्रों को उग्र महामारी के खतरे में नहीं डालती है. क्या छात्रों को कोविड-19 के दौरान परीक्षा देने के लिए मजबूर करना क्रूर नहीं होगा. क्या केंद्र सरकार कोविड-19 की स्थिति का सामना नहीं कर रही है. क्या शिक्षा मंत्री यह सोचते हैं कि छात्रों के पास कोरोना से लड़ने की कोई विशेष प्रतिरोधी शक्ति है.”