सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार केशभवन निर्माण मंत्री, अशोक चैधरी ने कहा है कि माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार दलितों के लिए सोचने वाले और उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए प्रभावी योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन कराने वाले नेता है जिन्होंने बिहार की सत्ता में आने के बाद प्रदेश में पहली बार बिहार विधान सभा अध्यक्ष दो-दो बार एक महादलित उदय नारायण चैधरी को बनाया। महादलित जीतन राम मांझी को हमारे नेता ने बिहार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जो कि मेरे समझ से आजादी के बाद पहली बार हुआ। महादिलत श्याम रजक को भी बिहार प्रदेश में लंम्बे समय तक मंत्री बनाये रखा। कुछ लोगों का ये आरोप है कि हमारे नेता दलित विरोधी है। निम्नलिखित आकड़े इस बात को प्रमाणित करते है पिछले 15 वर्षों के कार्यकाल में किस तरह से माननीय नीतीश कुमार ने दलितों के उत्थान के लिए काम किया और दलितों को राजनीतिक, समाजिक और आर्थिक रूप से सम्पन्न करने का काम किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दलित प्रेमी मुख्यमंत्री है जिन्होंने बिहार की बागडोर संभालने के बाद राज्य में पहली बार 2007 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित कल्याण विभाग का गठन किया। वर्ष 2007 को अनुसूचित जनजातियों में महादलितो में शैक्षणिक, समाजिक, आर्थिक आदि सभी क्षेत्रों में सम्यक विकास हेतु अनुशंसा के लिए राज्य महादिलत आयोग बिहार का गठन किया एवं 2008 में महादलित विकास मिशन का गठन किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पहली बार मार्च 2007 में राज्य में प्रथम बार आर्थिक सर्वेक्षण प्रकाशित किया गया। साथ ही आजादी के बाद पहली बार 2006-07 में विकास कार्यों पर 8647 करोड़ रुपये का रेकाॅड व्यय हुआ जो व्यय लक्ष्य का 102 प्रतिशत है।
पहले जहाँ सम्पूर्ण समाज कल्याण विभाग का बजट केवल 40 करोड़ में सिमटा हुआ था आज केवल अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग का बजट 1600 करोड़ है। इसके साथ ही वर्ष 2017-18 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग में कुल आवंटित बजट का कुल युटिलाईजेशन 74.0 प्रतिशत एवं वर्ष 2018-19 में कुल बजट का 76.1 प्रतिशत युटिलाईजेशन किया गया जिसकी जानकारी आर्थिक सर्वें 2020 में दी गयी है। इस राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतों की तरह नगर निकायों के सभी कोटि के पदों पर दलित एवं आदिवासियों के लिए उनकी आबादी के अनुरूप आरक्षण कर उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया। साथ ही राज्य के 38 जिलों में कुल 19037 ग्राम पंचायत सदस्य पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं तथा अनुसूचित जनजाति के लिए कुल 1223 पद आरक्षित है।
इसके साथ ही मुखिया हेतु 1388 पद अनुसूचित जाति के लिए एवं 92 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं जबकि जिला परिषद् में इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं जबकि जिला परिषद् में इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु अनुसूचित जाति के लिए 195 एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 13 पद आरक्षित है। शिक्षा से लेकर आर्थिक स्वावलंबन के क्षेत्र में हमारे नेता ने विभिन्न राजकीय योजनाओं के माध्यम से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अति पिछड़ा परिवारों के लिए विकास के नए आयाम बनाकर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति परिवार के मेधावी बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में किसी प्रकार कि आर्थिक दिक्कत न आये इस हेतु स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के अन्तर्गत वर्ष 2016 के अक्टूबर माह से अब तक 270 करोड़ राशि स्वीकृत की गई है।
इसमें कुल वितरीत आवेदनों की राशि 107 करोड़ रुपये है। जिसके अंतर्गत कुल आवेदन 17657 के विरूद्ध 11573 आवेदन स्वीकृत किये जा चुके है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों को शुरूआत के वर्ष 2005-06 में स्काॅलरशिप का प्रावधान जहाँ 32.71 करोड़ रुपये था उसके निरंतर बढ़ाते हुए वर्ष 2018 में 428 करोड़ रु॰ कर दिया गया। मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन-जाति तथा अतिपिछड़ा परिवार से आने वाले हमारे युवा साथियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार के कुल 8386 पंचायतों में प्रति पंचायत पाँच लाभार्थियों का चयन कर कुल 41930 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया। अभी तक कुल 27005 लोग इससे लाभान्वित हो चुके है। जिनमें अनुसूचित जाति के 14605, अतिपिछड़ा से 11168 तथा अनुसूचित जन-जाति से 1232 लाभार्थी शामिल है।
विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु प्रत्येक पंचायत (ग्रामीण) एवं वार्ड/वार्ड समूह (शहरी) में एक-एक विकास मित्र का चयन किया गया। वत्र्तमान में कुल सृजित 9875 पदों के विरूद्व कार्यरत बल 9520 विकास मित्रों द्वारा महादलित परिवारों के विभिन्न योजनाओं से आच्छादित किये जाने की सूचना एकत्रित कर पोर्टल के माध्यम से डाटा बेस बनाया गया है जिसके अंतर्गत कुल 35.57 लाख परिवारों को विकास रजिस्टर में अंकित किया जा चुका है। साथ ही फरवरी 2019 से विकास मित्रों का मानदेय 12500 रुपये कर दिया गया है एवं वित्तीय वर्ष 2020-21 में माह सितम्बर, 2020 तक के मानदेय एवं कर्मचारी भविष्य निधि हेतु सभी जिलों को 79.86 करोड़ राशि आवंटित की गयी है।
मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं जन-जाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा में उत्र्तीण होने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार के तैयारी हेतु एकमुश्त राशि 50 हजार रुपये तथा संध लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली द्वारा आयोजित सिविल प्रारंभिक परीक्षा में उत्र्तीण होने वाले छात्रों को एक मुश्त राशि 01 लाख रुपया प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके तहत UPSC में वर्ष 2018 में उत्तीर्ण अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के 46 एवं वर्ष 2019 में उत्तीर्ण 15 छात्र-छात्राओं को 1 लाख रुपये प्रति छात्र/छात्रा तथा BPSC में वर्ष 2018 में उत्तीर्ण 474 एवं वर्ष 2019 में उत्तीर्ण 1723 अभ्यर्थियों को 50000 (पचास हजार) रुपये प्रति छात्र/छात्रा के दर से अग्रेतर तैयारी हेतु प्रोत्साहन राशि दी गयी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन-जाति तथा अतिपिछड़ा परिवार से आने वाले हमारे युवा साथियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस योजना के अन्तर्गत बिहार के कुल 8386 पंचायतों में प्रति पंचायत पाँच लाभार्थियों का चयन कर कुल 41930 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया। अभी तक कुल 27005 लोग इससे लाभान्वित हो चुके है। जिनमें अनुसूचित जाति के 14605, अतिपिछड़ा से 11168 तथा अनुसूचित जन-जाति से 1232 लाभार्थी शामिल है।
मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन-जाति उद्यमी योजना के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के युवा एवं युवतियों को सूक्ष्म एवं लघु उद्योग स्थापित करने के लिए प्रति ईकाई अधिकतम 10 लाख रुपये का 50 प्रतिशत ब्याज रहित ऋण स्वीकृत किया जाता है तथा शेष 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में देय होता है। साथ ही स्वीकृत ब्याज रहित ऋण को पाँच साल की अवधि में 84 आसान मासिक किस्तों पर लौटाने की सुविधा प्राप्त है। अभी तक कुल 3585 लाभार्थी इस योजना से लाभान्वित हुए है।
इसके अलावा राज्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन-जाति के परिवारों से आने वाले प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए 111 छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है जिसमें अनुसूचित जाति 104 एवं अनुसूचित जन-जाति के 07 छात्रावास है।
यहाँ कुल क्षमता 5580 के विरूद्ध 4170 छात्र आवासित है जहाँ उनके सर्वांगीण विकास की दिशा में प्रयास कर उन्हें मानसिक, शारीरिक, समाजिक एवं भवान्तक रूप से सबल और सक्षम बनाने का लगातार प्रयास जारी है। इसके साथ ही पिछले पाँच सालों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन-जाति तथा अतिपिछड़ा परिवारों के प्रतिभावान छात्रों के लिए विभिन्न छात्रावास योजनाओं के बजट में करीब 500 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। माननीय मंत्री ने कहा कि उपर्युक्त सभी आंकड़े हमारे नेता के दलित प्रेम और उनको मुख्यधारा में लाने के लिए किये गये सःशक्त प्रयासो की स्थिति स्पष्ट रूप से बताता है।