सिटी पोस्ट लाइव, लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की जेलों में सेल फोन एवं इंटरनेट संचालित करने वाले बंदियों तथा गलत पहचान विवरण के साथ कारागारों में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए कारागार अधिनियम में जरूरी संशोधन कर दण्ड को और अधिक कठोर बनाये जाने का प्रस्ताव योगी कैबिनेट द्वारा मंजूर किया जा चुका है।
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बुधवार को यहां बताया कि इस संबंध में वर्तमान में प्राविधानित दण्ड को और अधिक कठोर बनाये जाने हेतु दण्ड में वृद्धि कर अपराध को संज्ञेय बनाये जाने की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुये शासन द्वारा उक्त कार्यवाही की गई है, ताकि कारागारों में निरूद्ध बंदियों द्वारा संचालित आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके। अवस्थी ने बताया कि शासन के निर्णय के अनुसार यदि कोई बंदी किसी कारागार परिसर के अन्दर अथवा उसके बाहर कोई अपराध करने का प्रयास करने, दुष्प्रेरित करने, षड़यंत्र करने आदि के लिए किसी बेतार संचार युक्ति का प्रयोग करते हुये पाया जाता है तथा जिसके परिणाम स्वरूप कोई आपराध किया जा सकता है, तो दोष सिद्ध होने पर उसे तीन से पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है, अथवा 20 हजार से 50 हजार रूपये तक अर्थदण्ड लगाया जा सकता है, या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
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उन्होंने बताया कि कारागार में बंदी को भेजे जाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि वह आगे कोई अपराध न कर सके तथा मुकदमे के साक्ष्य अथवा साक्षियों को प्रभावित न कर सके। परन्तु कारागारो में सेल फोन एवं इंटरनेट का अनाधिकृत उपयोग किये जाने से इन उद्देश्यों की पूर्ति मंें बाधा उत्पन्न होती है। इसके लिए कभी-कभी कारागार में गलत पहचान विवरण के साथ बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर जाते हैं तथा बंदियों को निषिद्ध वस्तुओं की आपूर्ति अथवा बंदियों से मिलकर आपराधिक षडयंत्र करने का प्रयास करते हैं। इसी पर कड़ाई से रोकथाम हेतु उक्त कार्यवाही की जा रही है।
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