सिटी पोस्ट लाइव : जदयू के विधानसभावार वर्चुअल सम्मेलन के नौवें दिन राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) व राज्यसभा में दल के नेता आरसीपी सिंह के नेतृत्व में बखरी, अलौली, सुल्तानगंज, अमरपुर, सूर्यगढ़ा एवं शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन का आयोजन हुआ। उनकी टीम में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री श्री नीरज कुमार, परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, सांसद चन्देश्वर प्रसाद चन्द्रवंशी, विधायक अभय कुशवाहा तथा प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा शामिल रहीं। इन सभी सम्मेलनों का संचालन जदयू मीडिया सेल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमरदीप ने किया।
इस दौरान अपने संबोधन में आरसीपी सिंह ने कहा कि 26 जुलाई के दिन का ऐतिहासिक महत्व है। आज के दिन हमलोग कारगिल विजय दिवस मनाते हैं और आज ही के दिन 118 साल पहले 1902 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शाहूजी महाराज ने सरकारी नौकरियों में पिछड़ों और वंचितों को आरक्षण देने की शुरुआत की थी। उस समय के लिए यह सोच बहुत बड़ी बात थी। शाहूजी महाराज के साथ ही मैं ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को भी नमन करता हूँ जिन्होंने सामाजिक सुधार और स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का काम किया। महाराष्ट्र की धरती से ही निकलकर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर आए और हमें हमारा संविधान मिला। लोकतंत्र की सामाजिक पकड़ को मजबूत बनाने में इन महापुरुषों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
आरसीपी सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शाहूजी महाराज, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और बाबासाहेब की सोच को अमलीजामा पहनाने का काम किया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि बिहार में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर समाज में तनाव नहीं हो। दलित-महादलित, पिछड़े-अतिपिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक हों या सामान्य वर्ग – विकास की किरण पहुंचाने में उन्होंने कोई भेदभाव नहीं किया। वहीं, पंचायती राज और शहरी निकायों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण, सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण और बेटियों की शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों से उन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उन्होंने मील के कई पत्थर स्थापित किए। नरसंहारों और सांप्रदायिक दंगों के दौर से बिहार को निकालकर उन्होंने शांति स्थापित की।
आरसीपी सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्पष्ट सोच रही कि सामाजिक सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द्र के बिना न तो शांति स्थापित हो सकती है और न ही समावेशी विकास संभव है। वहीं, दूसरी ओर सामाजिक न्याय का ढोल पीटने वालों को जब मौका मिला, वे अपने परिवार के विकास में लगे रहे। उनके लिए आरक्षण का मतलब स्वयं का आरक्षण रहा। विधानसभा या विधानपरिषद में पहली कुर्सी हो या राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद, वहां स्थायी आरक्षण की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के इतिहास को याद रखना जरूरी है, इसलिए इन बातों को याद रखें।
आरसीपी सिंह ने कहा कि हमारे सामने कोरोना, बाढ़ और बरसात के बीच चुनाव की संवैधानिक बाध्यता है। इस समय हमें अपने सामाजिक दायित्व का भी निर्वहन करना है। जदयू के सभी कार्यकर्ता कोरोना पीड़ितों और उनके परिजनों को संबल और सहायता दें। इसके साथ ही उन्होंने सबसे मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंस का पालन करने की अपील की। सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि हमारी सरकार ने कब्रिस्तानों की घेराबंदी की तो मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा और स्तूपों का भी ध्यान रखा। महिलाओं को हमने एक सामाजिक समूह माना। सात निश्चय हो या कोराना काल में उठाए गए कदम – किसी के साथ भेदभाव नहीं किया।
वर्चुअल सम्मेलन को परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, सांसद चन्देश्वर प्रसाद चन्द्रवंशी, विधायक अभय कुशवाहा, प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा एवं जदयू मीडिया सेल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमरदीप ने भी संबोधित किया। ध्यातव्य है कि जदयू के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य बशिष्ठ नारायण सिंह की टीम ने आज रामनगर, बगहा, सिकटा, सुगौली, पिपरा एवं कल्याणपुर, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव की टीम ने गायघाट, औराई, बोचहां, छपरा, गरखा एवं परसा तथा लोकसभा में दल के नेता श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की टीम ने बिस्फी, मधुबनी, झंझारपुर, दरभंगा ग्रामीण, हायाघाट एवं बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्चुअल सम्मेलन किया।