आपदा को अवसर में बदलने में जुटे CM नीतीश, बाढ़ प्रभावितों को 6-6 हजार रुपये देने की तैयारी

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सिटी पोस्ट लाइव : चुनावी साल में बिहार एकसाथ दो बड़ी त्रासदी, कोरोना और बाढ़ झेल रहा है. विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से पहले दोहरी चुनौतियों से जूझ रही नीतीश सरकार (Nitish Government) की टेंशन बढ़ गई है. आपदा की इन चुनौतियों को नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) चुनावी अवसर में बदलने की तैयारी में हैं. बिहार सरकार ने बिहार के उन जिलों पर विशेष ध्यान देने की तैयारी कर ली है जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. बिहार सरकार पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा, सुपौल, छपरा, मधुबनी, समस्तीपुर सहित बाढ़ प्रभावित अन्य इलाकों के लोगों को बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन बहुत जल्द शुरू करने जा रही है

नीतीश सरकार ने बाढ़ प्रभावित हर घर को छह-छह हजार रुपये की आर्थिक मदद देने का फैसला ले लिया है. बाढ़ से जिनके घर बर्बाद हो गए हैं उन्हें अतिरिक्त आर्थिक मदद दी जाएगी. साथ ही जिनकी फसलों का नुकसान हुआ है उसका आकलन कर क्षतिपूर्ति देने की तैयारी कर ली गई है. नीतीश कुमार को अच्छे से पता है कि चुनावी साल है. अगर इस त्रासदी के वक्त बाढ़ से बर्बाद हुए लोगों को सरकार ने पर्याप्त मदद नहीं की तो इसका खामियाजा सीधे चुनाव में उठाना पड़ेगा. इसलिए नीतीश कुमार मदद पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. गौरतलब है कि इसके पहले भी जब 2008  में कुसहा त्रासदी हुई थी तब कई जिले बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए थे.

तब नीतीश सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए कई ऐसे कदम उठाए थे कि उसका असर चुनाव में दिखा .बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में नीतीश कुमार को शानदार सफलता मिली थी. गौरतलब है कि तब विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार का नाम ही ‘क्विंटलिया बाबा’ रख दिया गया था क्योंकि मदद के तौर पर प्रभावित लोगों को एक एक क्विंटल अनाज भी दिया गया था.

बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि बाढ़ ऐसी त्रासदी है जिसे रोक पाना फिलहाल बिहार के हाथ में नहीं है क्योंकि नेपाल के पानी छोड़ने से बिहार के कई जिले बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं. लेकिन हमारी सरकार त्रासदी में बर्बाद हुए लोगों के मदद में हर सम्भव कोशिश कर नुकसान की भरपाई करती है. इसका उदाहरण कोसी त्रासदी में देश और बिहार की जनता ने देख लिया है. इस बार भी हम मदद में पीछे नही रहेंगे क्योंकि नीतीश जी कहते हैं कि बिहार के खजाने पर बिहार की जनता का पहला हक़ है.

कोरोना की वजह से जिन लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है उनके लिए मुफ्त राशन देने के लिए  आपदा के दौरान 23 लाख लोगों का नया राशन कार्ड बनवाया गया. जाहिर है इसका फायदा भी नीतीश सरकार को मिल सकता है. लेकिन RJD  प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि आपदा को अवसर में बदलने की तैयारी ज़रूर नीतीश सरकार कर रही है लेकिन इसमें वो सफल नही होंगे क्योंकि आपदा के लिए ज़िम्मेवार भी नीतीश सरकार ही है. पुल और तटबंध टूटे हैं उसके लिए नीतीश सरकार ही ज़िम्मेदार है. जनता सब देख रही है इसका जवाब चुनाव में मिलेगा.

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