सिटी पोस्ट लाइव : 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन होगा.इस भूमि पूजन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अयोध्या पहुंचेगें. कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम में सीमित लोग ही शामिल हो पाएंगे. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को 3 और 5 अगस्त की तारीख भेजी गई थी. पीएमओ ने 5 अगस्त को चुना है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भूमि पूजन में शिरकत करेंगे.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जब पिछले साल एक मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या के मया बाजार गए थे तो राम मंदिर से दूरी बनाकर ही रहे थे. अपने संबोधन में उन्होंने राम से लेकर रामायण तक जिक्र तो किया था लेकिन राम मंदिर पर कुछ नहीं बोले थे. राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में फैसला सुनाया था.
लेकिन बीजेपी के साथ यह मसला लंबे वक्त से जुड़ा रहा. इसलिए अयोध्या के साधु-संतों ने कई बार मांग की कि पीएम मोदी को एक बार अयोध्या जरूर आना चाहिए. पिछले साल यह मौका आया भी जब 1 मई को अयोध्या के मया बाजार में आयोजित चुनावी रैली में पीएम मोदी शामिल रहे. मोदी का रैली स्थल रामजन्मभूमि से 24 किमी की दूरी पर ही था.यह भी चर्चा थी कि पीएम मोदी रामजन्मभूमि का दौरा भी कर सकते हैं लेकिन उन्होंने तब इस मसले से दूरी बनाकर रखी थी.
उस वक्त मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से पीएम मोदी इसपर कुछ भी बोलने से बचते रहे थे.पिछले दिनों राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा अयोध्या पहुंचे थे. तभी से चर्चा शुरू हो गई थी कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का इस बार फैसला हो जाएगा. अब पीएमओ के 5 अगस्त की तारीख पर मुहर लगाने के साथ ही पीएम मोदी के अयोध्या आने की अटकलों पर भी विराम लग गया .
यूपी के अयोध्या में शनिवार को हुई बैठक के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा. इसमें अब तीन की बजाय पांच गुंबद बनाए जाएंगे. चंपत राय ने बताया कि सोमपुरा मार्बल ब्रिक्स ही मंदिर का निर्माण करेगा. सोमनाथ मंदिर को भी इन लोगों ने बनाया है, मंदिर बनाने में पैसे की कमी नहीं होगी, मंदिर के लिये 10 करोड़ परिवार दान देंगे. कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो मिट्टी परीक्षण के लिए नमूने जुटा रही है. मंदिर की नींव का निर्माण मिट्टी की क्षमता के आधार पर 60 मीटर नीचे किया जाएगा. नींव रखने का काम नक्शे के आधार पर शुरू होगा.