सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में एक तरफ कोरोना हाहाकार मचाए हुई है, तो दूसरी तरफ शिक्षक बनने की ख्वाहिश लिए एसटीईटी परेशान और हताश हैं. उन्हें अब सरकार की नीतियों पर जरा भी भरोसा नहीं रहा. यही वजह है कि अब उन्होंने नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है. बता दें 8 साल बाद हुई STET 2019 परीक्षा को रद्द करने की घोषणा से अभ्यर्थियों में काफी निराशा है. अभ्यर्थियों का कहना है कि जिन चार केंद्रों पर गड़बड़ी की शिकायत मिली थी उसकी पुनर्परीक्षा ले ली गयी थी. इसके वावजूद जब अभ्यर्थी परिणाम का इंतज़ार कर रहे थे तो उसी दिन 16 मई को बिना किसी ठोस कारण के अचानक परीक्षा कैंसिल कर दी जाती है.
इससे लाखों अभ्यर्थी ठगा महसूस कर रहे हैं, शिक्षक बनने का उनका सपना चकनाचूर हो गया है. अभ्यर्थियों का कहना है इस परीक्षा को रद्द करने में सरकार के मुखिया और बोर्ड अध्यक्ष की अहम भूमिका है. अभ्यर्थियों ने सरकार और बोर्ड अध्यक्ष को छात्र विरोधी बताया है और परिणाम प्रकाशित न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. साथ ही सरकार के STET परीक्षा रद्द करने के विरुद्ध में अभ्यर्थियों ने पटना उच्च न्यायालय में कुल 3 PIL दाखिल की है जिसकी सुनवाई भी जारी है.
अब अभ्यर्थियों ने न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई है। ज्ञात हो 8 साल बाद 28 जनवरी को 317 केंद्रों पर STET की परीक्षा का आयोजन किया गया था जिसमे 2 लाख 45 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया था और 16 मई 2020 को परिणाम आने के दिन इसे अचनाक इसे रद्द कर दिया गया. जाहिर है बिहार में रोजगार के वैसे भी कम साधन हैं. ऊपर से जिन अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की और परीक्षा दिया. वे अब भी वहीं खड़े हैं जहां से उन्होंने शुरुआत की. जाहिर है कोरोना महामारी के बीच अभ्यर्थियों का जीवन अधर में अटका हुआ है. न सरकार कुछ समझने को तैयार है और न ही बोर्ड. कोर्ट कचहरी के चक्कर में इन अभ्यर्थियों का जीवन घडी की सुई की तरह घूम रही है.