सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज है और सभी राजनीतिक पार्टियां राज्य के अलग अलग हिस्सों में वर्चुअल रैलियां कर रही है। इसी कड़ी में तीसरे मोर्चे को लेकर सजग और बिहार को बदलने और जनता के हित को ध्यान में रखते हुए यशवंत सिन्हा भी लगातार राज्य के विभिन्न हिस्सों में वर्चुअल रैली के बजाए लोगो के साथ सीधा जनसंवाद कर कर रहे हैं। बिहार सरकार के खिलाफ का मोर्चा खोलते हुए “बदलो बिहार, बनाओ बेहतर बिहार” के नारे के साथ श्री सिन्हा ने गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, सासाराम के साथ कई जिलों में लोगों के बीच जाकर जनसंवाद किया है, लेकिन फिर से हुए लॉकडाउन के कारण सीधे जनसंवाद की जगह सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से जुड़ेंगे, जिससे कोरो ना से बचा जा सके और लोगों के समस्याएं को भी यथासंभव हल कर नई दिशा दी जाए। यशवंत सिन्हा ने कहा कि “पूरे बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं, लेकिन जांच की प्रक्रिया बहुत धीमी है, अगर पूरे देश की बात करें तो बिहार में सबसे धीमी गति से कोरोना की जांच हो रही है जो गंभीर चिंता का विषय है।”
हर जिले में स्थिति के अनुसार लॉकडाउन को लागू कर दिया गया है, लेकिन सवाल वही है कि बिहार में कोरोना जांच की प्रक्रिया इतनी सुस्त क्यों है? श्री सिन्हा ने ट्वीट करते हुए सरकार पर ये आरोप भी लगाया है कि सरकार मेरे जनसंवाद से डर गई है, शायद इसलिए जान बुझ कर फिर से लॉकडाउन लगाया है। ये एक सियासी चाल है, विपक्ष को रोकने की क्योंकि, इतने दिनों से जब कोरोना फैल रहा था, तब तक लॉकडाउन नहीं लगाया गया अब जब हम लोगों के बीच जाकर जनसंवाद कर रहे हैं तो सरकार को चिंता होने लगी है। जबकि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार ही हमारा जनसंवाद चल रहा था।”
इस कोरोना के संकट में भी, श्री सिन्हा लगातार राज्य भर में लोगो से मिल कर उनकी समस्याओं को जान रहे थे। सरकार की गलत नीतियों के ऊपर सवाल भी उठाए और लोगों के बीच जाकर “बदलो बिहार, बनाओ बेहतर बिहार” के उद्देश्य को भी बताया। उन्होंने बताया कि सरकार बिहार के जनता का शोषण करते आ रही है, लोग सरकार की भ्रष्ट नीतियों का शिकार हो रहे हैं, ऐसे बिहार का विकास सम्भव ही नहीं है और मेरा ये जनसंवाद सोशल मीडिया के माध्यम से भी जारी रहेगा। बहरहाल, कोरोना संकट के बीच चुनावी सरगर्मी भी तेज हो रही है लेकिन लॉकडाउन ने इस सरगर्मी को थोड़ा ठंडा कर दिया है। अब ये देखा दिलचस्प होगा कि लॉकडाउन कब खुलता है और फिर कब से राजनीतिक पार्टियां चुनावी बिगुल फूंकती हैं।