सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड सरकार ने साफ किया है कि जलवान लकड़ी या अन्य निजी कार्य के लिए उपयोग की लकड़ी पर किसी तरह का शुल्क नहीं लगेगा और न ही किसी तरह के लाईसेंस लेने की जरूरत होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वन, पर्यावरण एवं जलवायु विभाग को झारखण्ड वनोपज नियमावली 2020 में आवश्यक बदलाव का निर्देश दिया है। वन-पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव ए0पी0 सिंह ने शुक्रवार को रांची में संवाददाता सम्मेलन में बताया कि राज्य सरकार जून में अधिसूचित की गई झारखण्ड वनोपज नियमावली 2020 में जल्द ही कुछ परिवर्तन करेगी। जिसमें ग्रामीणों द्वारा जलावन अथवा अन्य निजी कार्यों के लिये उपयोग की जाने वाली लकड़ी पर बने संशय को दूर किया जायेगा।
ए0पी0 सिंह ने कहा कि वन,पर्यावरण एवं जलवायू परिवर्तन विभाग ने जून माह में ट्रांजिट रुल लाया था जिसके तहत झारखण्ड वनोपज नियमावली 2020 अधिसचित की गई थी। जिसमें जलावन लकड़ी के लिये 25रु प्रति घनमीटर की दर तथा अन्य वनोत्पाद को लेकर भी संशय हो रहा था। राज्य सरकार झारखण्ड वनोपज नियमावली 2020 में जल्द ही कुछ परिवर्तन करेगी जिसमें जलावन लकड़ी के लिये 25रु प्रतिघनमीटर की दर को भी विलोपित कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस नियमावली में यह बात स्पष्ट है कि ग्रामीण अपनी ग्राम सीमा के अंदर जलावन या अन्य निजी कार्यों के लिये लकड़ी का उपयोग करते हैं तो उन्हें किसी तरह का शुल्क नहीं देना होगा और न ही लाईसेंस लेना होगा। परंतु इसे बेचने की अनुमति नहीं होगी। वहीं यदि लकड़ी का उपायोग व्यवासायिक के लिए करते हैं तो शुल्क देना होगा। इस मौके पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी0के0 वर्मा ने कहा कि ग्राम सीमा के अंदर लकड़ी का उपयोग जलावन या निजी कार्यो के लिए अनुमान्य है न कि बेचने के लिये। पंरतु यदि वन क्षेत्र में सड़क निर्माण या अन्य कार्यों के लिए जंगल की कटाई से प्राप्त लकड़ी का उपयोग व्यवासायिक के लिए करते हैं तो अनुमति लेनी होगी।