कूड़ा में भोजन खोजने की स्कूली बच्चों की तस्वीर पर NHRC का नोटिस.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : भागलपुर (Bhagalpur) में लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से मिड डे मिल नहीं मिलने से भुखमरे का सामना कर रहे बच्चों द्वारा कुछ बच्चों के कूड़ा की ढेर में भोजन खोजने की तस्वीर सामने आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय (HRD Ministry)और बिहार सरकार (Bihar Government) को नोटिस भेजा है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की वजह से देश के तमाम स्‍कूलों को बंद कर दिया गया है. स्‍कूलों के बंद होने के साथ बच्‍चों को मिलने वाले मिड-डे मील (Mid-Day Meal) का वितरण भी बंद हो गया है.. इससे उन बच्‍चों के लिए मुश्‍किल खड़ी हो गई, जिनका पेट स्कूलों में मिलनेवाले मिड-डे मील से भरता था. जब इन बच्‍चों से अपनी भूख बर्दाश्‍त हुई, तो इन्‍होंने जिंदा रहने के लिए कूड़ा बेचना शुरू कर दिया. अब ये बच्‍चे रोजाना कूड़े से प्‍लास्टिक बीनते हैं और उसको बेचकर जो दस-बीस रुपए आते हैं, उससे वह अपना पेट भरते हैं.

बड़बिल्ला गांव का मुसहरी टोला महादलितों की बस्‍ती है. यहां के बच्‍चे किसी भी दिन स्‍कूल जाना नहीं भूलते थे क्‍योंकि स्‍कूल में उन्हें खाना मिलता था.खाने के लिए अंडा, रोटी, सब्‍जी, दाल, चावल और सोया भी मिलता था.लेकिन स्कूल बंद हो जाने के बाद वो भुखमरी का सामना कर रहे हैं.भुखमरी से बचने के लिए अब ये बच्चे शहर के कचरे के ढेर में अपने भोजन की तलाश में भटकते रहते हैं.जब होटल बंद थे तो कूड़े में भोजन मिलना भी बंद हो गया था.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, बिहार में 5 साल से कम उम्र के बच्‍चों में 48.3 प्रतिशत बच्चे अंडरवेट हैं, जबकि 43.9 प्रतिशत बच्‍चे कुपोषित या अविकसित पाए गए थे. बिहार की तुलना राष्ट्रीय औसत से करें तो वह 38.4 और 35.7 प्रतिशत फीसदी है. बच्‍चों के बेहतर पोषण और शारीरिक विकास के लिए सरकार की तरफ से सभी सरकारी स्‍कूलों में मिड-डे मील की योजना को शुरू किया गया था. वहीं, लॉकडाउन के बाद इस योजना के तहत मिलने वाला भोजन बच्‍चों तक नहीं पहुंच रहा है.ईन बच्चों की कूड़े की ढेर में भोजने खोजने की तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल होने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय (HRD Ministry)और बिहार सरकार (Bihar Government) को नोटिस भेजा है.

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