सिटी पोस्ट लाइव : भारत से दुश्मनी और चीन से दोस्ती के हिमायती नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की कुर्सी खतरे में है.उनके ऊपर पार्टी के भीतर से ही इस्तीफ़े का दबाव है.नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की आज सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है. पार्टी की एकता को बचाने के लिए, पार्टी सदस्यों के दबाव के बीच, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो प्रमुख नेताओं- केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने रविवार को इस बारे में अंतिम निर्णय लेने के लिए समय माँगा था.
बढ़ते ध्रुवीकरण के कारण सत्तारूढ़ पार्टी टूटने की कगार पर है. रविवार को, नेपाल के बालुवातार में ओली और प्रचंड ने बीच का रास्ता तलाशने के लिए एक बैठक की थी जो असफल रही. माना जा रहा है कि दोनों नेता अपने रुख़ से हिलने को तैयार नहीं हैं.प्रचंड का कहना है कि ओली को ना सिर्फ़ पार्टी के अध्यक्ष पद से, बल्कि नेपाल के प्रधानमंत्री पद से भी इस्तीफ़ा दे देना चाहिए जबकि ओली इससे इनकार कर रहे हैं.
बैठक में मौजूद रहे एक नेता ने प्रेस को बताया कि “दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी से बातचीत हुई, दोनों ने बात करने का फ़ैसला किया है. उन्होंने बैठक में सभी विवादित मुद्दों पर चर्चा की. चूंकि कोई समझौता नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने बातचीत जारी रखने का फ़ैसला किया.”ओली की ओर से सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए जाने के बाद से पार्टी में संकट गहरा गया है. उन्होंने आरोप लगाया था कि ‘पार्टी में मौजूद प्रतिद्वंद्वी गुट, जिसका नेतृत्व प्रचंड, माधव कुमार नेपाल और झाला नाथ खनल कर रहे हैं, वो ओली को प्रधानमंत्री पद से हटाना चाहते हैं और इसके लिए नई दिल्ली में साज़िश रची जा रही है.’
पार्टी की स्थायी समिति के 44 सदस्यों में कम से कम 30 ने यह माँग की है कि ओली पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दें. जैसे ही ओली पर इस्तीफ़ा देने का दबाव बढ़ा, उन्होंने गुरुवार को अचानक सदन का बजट सत्र स्थगित कर दिया.इसे लेकर पार्टी के प्रतिद्वंद्वी गुट में चिंता पैदा हुई कि क्या ओली किसी अध्यादेश के माध्यम से पार्टी को विभाजित करने की योजना बना रहे हैं.इसके एक दिन बाद, ओली और प्रचंड ने बालुवातार में एक बैठक की और दोनों नेता एक दूसरे की असहमतियों को सुनने के लिए तैयार हो गए.
दोनों नेताओं की ओर से चर्चा के लिए और वक़्त मांगे जाने के बाद पार्टी की स्थायी समिति की बैठक को भी सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.ओली गुट के नेताओं को विश्वास है कि अभी तक चीज़ें पूरी तरह हाथ से नहीं निकली हैं.वहीं अंदर की बात जानने वाले, पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि प्रतिद्वंद्वी गुट की लगातार हुईं कई बैठकों को देखते हुए ओली को यह डर सता रहा है कि वे कहीं किसी दूसरे रास्ते से उन्हें पद छोड़ने को मजबूर ना कर दें.