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कन्हैया कुमार से क्यों डरे हुए हैं तेजस्वी यादव, समझिए राजनीति

कन्हैया कुमार की सक्रियता से RJD को सता रहा है अपने परंपरागत वोट में सेंघमारी का डर.

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सिटी पोस्ट लाइव : लोक सभा चुनाव में भी RJD को CPI नेता कन्हैया कुमार द्वारा अपने वोट बैंक में सेंधमारी का खतरा सता रहा था और इस लोक सभा चुनाव में भी डर सता रहा है. कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) एक बार फिर विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को लेकर अपनी यात्रा और सभा करने की तैयारी में जुट गए हैं. गुरुवार को दिल्ली (Delhi) में उन्होंने अपने सीनियर नेताओं के साथ मिलकर अपनी रणनीति को अंतिम रूप दिया. सीपीआई (CPI) नेता सत्यनरायण सिंह (Satyanarayan Singh) के अनुसार कन्हैया 10 जुलाई के आसपास पटना (Patna) आएंगे और बिहार विधानसभा चुनाव तक बिहार में ही कैंप करेंगे.

कन्हैया पहले दौर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वन टु वन होंगे. इसके लिए फेसबुक (Facebook), यूट्यूब और जूम ऐप का प्रयोग किया जाएगा. पार्टी के पटना दफ्तर में सोशल मीडिया कार्यालय भी बनाया जा रहा है. जो कि पार्टी नेताओं के कार्यक्रम को लाइव करने का काम करने में सहयोग करेगा.30 जून को कन्हैया ने अनलॉक-टू में पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणाओं पर तंज कसते हुए लिखा है कि बोलो रे बेइमान, क्यूं सरेंडर किया देश का सम्मान, और क्यूं नहीं लिया अब तक चाइना का नाम. गलवान में शहीद हो गए हमारे 20 जवान और तुम पका रहे जुलाई में छठ पूजा का पकवान.

बिहार में JDU और BJP पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणों से बहुत खुश हैं, वहीं कन्हैया का PM मोदी पर हमला वाला  ट्वीट सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से ट्रोल हुआ और यूजर्स ने उनसे कई प्रकार के सवाल भी किए. इधर, राजनीति के जानकार उनके इस ट्वीट को बिहार विधानसभा के चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. वे कहते हैं कि कन्हैया के इस ट्वीट से साफ है कि वे पिछले चुनाव की तरह इस दफा बिहार विधानसभा चुनाव में भी अपना पूरा दमखम लगाने वाले हैं. कन्हैया को जानने वाले प्रिंस कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में उन्होंने विधानसभा चुनाव की अपनी पूरी प्लानिंग की है.

लोकसभा चुनाव के बाद कन्हैया ने बिहार में अपनी जन-मन यात्रा कर के एक बड़ी जमात तैयार कर ली थी. सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी जमात में युवाओं के साथ-साथ महिला और बुजुर्ग भी हैं. हालांकि उनको अपनी यात्रा के दौरान कई जगहों पर विरोध का भी सामना करना पड़ा था. कई जगहों पर तो उनके काफिले पर हमले भी हुए थे. कन्हैया इससे परेशान भी हुए और कई जगहों से भागना भी पड़ा, लेकिन अपने ऊपर होने वाले हमले को अपनी सभा में चर्चा कर BJP पर तंज कसने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा. जिलों में कन्हैया कुमार की सभा में जो भीड़ उमड़ी थी, वह अगर वोट में तब्दील हो गई तो बिहार में सीपीआई का मजबूत जनाधार खड़ा हो जाएगा. यह जनाधार सरकार के बनने और बिगाड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

लेकिन पार्टी में मची भगदड़ से परेशान तेजस्वी यादव के लिए  कन्हैया भी एक चुनौती हैं. कन्हैया के बिहार आने की सूचना RJD को अपनी परंपरागत वोट बैंक में सेंघमारी का डर सताने लगा है. कन्हैया ने अपनी यात्रा के दौरान RJD के ही पंपरागत वोटर को काटा है. 1990 से बिहार के ज्यादातर मुस्लिम वोटर RJD  के साथ रहे हैं.लालू प्रसाद के लिए उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया था. लेकिन, लोकसभा चुनाव के बाद कन्हैया की सभा में जिस प्रकार से उनकी जमात ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था, इससे तब कहा जाने लगा था कि बिहार के मुसलमानों ने लालू को छोड़कर कन्हैया को अपना नेता मान लिया है. लेकिन, वह समर्थन विधानसभा चुनाव में भी कन्हैया को मिलता है या फिर मुसलमान लालू के प्रति ही अपनी एक बार फिर से निष्ठा निभाते हैं. यह तो समय बताएगा, लेकिन इतना पक्का है कि कन्हैया की सक्रियता से एनडीए में तो नहीं, पर RJD  में अपनी परंपरागत वोट को बचाने के लिए बेचैनी जरूर दिख रही है.

लोकसभा चुनाव में कन्हैया को गिरिराज सिंह ने हराया था. हालांकि पूरे चुनाव के दौरान दिल्ली, गुजरात सहित कई प्रदेशों से आई उनकी टीम ने ऐसा माहौल तैयार करने का प्रयास किया था कि कन्हैया जीत ही रहे हैं. लेकिन परिणाम आने पर वे चारों खाने चित मिले. चुनाव के दौरान भी देश विरोधी गतिविधियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग के अगुआ होने के आरोप में कई जगहों पर उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा था.लेकिन अगर विधान सभा चुनाव में कन्हैया कुमार पुरे बिहार में घूमकर अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में कामयाब रहे तो सबसे ज्यादा नुकशान RJD को ही होना है.

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