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कांग्रेस के मनाने-फुसलाने पर भी नहीं माने ‘मांझी’, कुछ घंटों में करेंगे बड़ा एलान!

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सिटी पोस्ट लाइवः बिहार के सियासी गलियारे से इस वक्त एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बिहार के पूर्व सीएम और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी कांग्रेस के मनाने और फुसलाने पर भी नहीं माने हैं और वे कुछ घंटो में वे बड़ा एलान करने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जीतन राम मांझी ने तमाम विकल्पों पर पर गंभीरता पूर्वक विचार किया है और उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर लिया है। काॅर्डिनेशन कमिटी को लेकर जीतन राम मांझी आरजेडी को लगातार अल्टीमेटम दे रहे थे। उन्होंने 25 जून तक का अल्टीमेटम दिया था। फिर वे दिल्ली जाकर कांग्रेस के बड़े नेता अहमद पटेल से मिले। कांग्रेस की ओर से आश्वासन मिला कि काॅर्डिनेशन कमिटी की मांग जायज है और इस पर जल्द फैसला हो जाएगा साथ हीं महागठबंधन में हर सहयोगी को सम्मान मिले यह भी सुनिश्चित किया जाएगा।

दो दिन पहले कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने एक अंग्रेजी अखबार के साथ इंटरव्यू में कहा कि आरजेडी को काॅर्डिनेशन कमिटी बनानी होगी साथ हीं यह काॅर्डिनेशन कमिटी हीं तय करेगी कि महागठबंधन का नेता कौन होगा। माना जा रहा था कि कांग्रेस का साथ मिलने के बाद मांझी मान जाएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। सूत्रों के हवाले से जो जानकारी है कि मांझी तय कर चुके हैं कि उन्हें अब कहा जाना है। मांझी और नीतीश कुमार के बीच मुलाकात के भी कयास लग रहे हैं हांलाकि इस सिर्फ कयास हीं है इसको लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आ पायी है लेकिन माना जा रहा है कि मांझी एक बार फिर नीतीश के साथ जा सकते हैं। मांझी’ कल शाम तक अपने फैसले का एलान कर देंगे।

उनकी पार्टी की ओर से भी यह बताया गया है कि कोई बड़ा एलान बहुत जल्द होने वाला है। दूसरी तरफ महागठबंधन का झगड़ा और बढ़ गया है। मांझी के बाद अब उपेन्द्र कुशवाहा ने भी तेजस्वी यादव को लेकर अपने तेवर तल्ख कर लिये हैं।राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आगामी विधानसभा चुनाव में सहयोगी दलों से बातचीत करने के लिए जिन तीन नेताओं की कमिटी बनाई है, उनमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी के अलावा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश यादव और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा शामिल है. कुशवाहा ने इस कमिटी का गठन कर कहीं न कहीं यह संकेत दिया है कि अगर तेजस्वी जगदानंद सिंह से बात करने को कह सकते हैं तो कुशवाहा भी अपने पार्टी के निचले स्तर के नेताओं को बातचीत का जिम्मा सौंप सकते हैं.

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