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चीनियों के साथ बेशकीमती लेन-देन कर प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्र को गुमराह कर रहे

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा ने कहा है कि मोदी सरकार का भ्रमपूर्ण बयान लोगों में चिन्ता उत्पन्न कर रहा है। एकओर गाज़वान घाटी, पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र, हॉट स्प्रिंग्स और डेपसांग प्लेनसुप्टो वाई-जंक्शन में चीनी सेनाओं ने हमारे क्षेत्र में कब्जे को जारी रखा है दूसरी ओर चीनियों के साथ बेशकीमती लेन-देन कर प्रधानमंत्री,  नरेन्द्र मोदी राष्ट्र को गुमराह कर रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री का यह दावा कि “चीन ने कभी भी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है और न ही वह किसी क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है”, चीन के पापपूर्ण एजेंडे को बढावा देता है जो राष्ट्र के लिए एक बड़ा असंतोष का कारण है। हाल के वर्षों में चीन के साथ हमारी शत्रुता बढी है। वर्ष 2013 में वाई-जंक्शन तक डिप्संग मैदानों पर चीनियों ने कब्ज़ा किया था जहाँ से उन्हें कांग्रेस की यू पी ए सरकार के समय उसे पीछे धकेल दिया गया था। उसके बाद से लगातार चीनियो का उत्पात क़ायम है, 2014 में चूमर, लद्दाख में प्वाइंट 30 आर पोस्ट में हमारा क्षेत्र जब चीन क़ब्ज़ा कर रहा था तब मोदी जी अहमदाबाद में चीनी राष्ट्रपति के साथ झूला कूटनीति निभा रहे थे, 2017 में डोकलाम पठार पर चीन का कब्जा हो चुका है। सरकार चुप है।

मोदी सरकार द्वारा हमारे क्षेत्र के चीनी क़ब्ज़े चाहे लह गैल्वान वैली हो या पैंगोंगत्सो झील क्षेत्र या हॉट स्प्रिंग्स या फिर डेपसांग का मैदानी इलाका पर बराबर भ्रामक बयान आता रहा। बीजेपी सरकार द्वारा डायवर्सन रणनीति और विरोधाभाषी बयानों के माध्यम से जनता को भटकाना चाहती है। कांग्रेस पार्टी इन सवालों को राष्ट्रहित में पूछती रहेगी। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रधान मंत्री के पास चीन के लिए एक विशेष नरम स्थान है। यहां तक ​​कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, हमने उनकी चार चीनी यात्राओं में उनकी निकटता देखी। वह एकमात्र प्रधानमंत्री हैं जो 5 बार चीन का दौरा कर चुके हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे अधिक चिंताजनक और ख़तरनाक बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी को चीनी कंपनियों से उनके (प्रतीत होता है कि व्यक्तिगत रूप से) पीएम कार्स फंड में जो दान तथ्य प्राप्त हुए हैं। पीएम कार्स फंड के संविधान या संचालन ढांचे को कोई नहीं जानता है। किसी को नहीं पता कि यह कैसे नियंत्रित किया जाता है या इसका उपयोग करने के लिए दिया गया पैसा कहाँ जाता है। CAG सहित किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा इस निधि का लेखा-जोखा भी नहीं किया जा सकता है। पीएमओ यहां तक कह गया है कि यह कोष एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है। PM CARES फंड RTI के भी अधीन नहीं है। कुल मिलाकर, निधि पूरी तरह से प्रधानमंत्री द्वारा अपारदर्शी और गुप्त फैशन में शून्य पारदर्शिता और शून्य जवाबदेही के साथ चलती है।

रिपोर्ट बताती है कि 20 मई, 2020 तक पीएम मोदी को विवादास्पद कोष में 9678 करोड़ रुपये मिले हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यद्यपि चीनी सेनाओं ने हमारे क्षेत्र में लगातार क़ब्ज़ा बढाये जा रही है, लेकिन प्रधान मंत्री को चीनी कंपनियों से फंड में लगातार पैसा भी मिला है।

क्या प्रधानमंत्री हमारे इन सवालों का जवाब देंगे?

1) वर्ष 2013 में चीनी शत्रुता के बावजूद पीएम मोदी ने फंड में चीनी धन क्यों प्राप्त किया है?
2) क्या PM को विवादास्पद कंपनी HUAWEI से 7 करोड़ रुपये मिले हैं? क्या HUAWEI का पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, चीन के साथ सीधा संबंध है?
3) क्या चीन की कंपनी टि टाक, (Tik Tak) ने विवादास्पद पीएम केयर फंड के लिए 30 करोड़ रुपये के दान को सुगम किया है?
4) क्या पेटीएम ने जिसका 38% चीनी स्वामित्व है ने विवादास्पद कोष में 100 करोड़ दिया है?
5) क्या XIAOMI, चीनी कंपनी, विवादास्पद कोष में 15 करोड़ रुपये देने को प्रतिबद्ध है?
6) क्या चीनी कंपनी OPPO ने इस विवादास्पद कोष में 1 करोड़ रुपये का दान दिया है?
7) क्या प्रधान मंत्री मोदी ने विवादास्पद पीएम कार्स फंड में PMNRF में प्राप्त दान को डायवर्ट किया है और यह कितना सौ करोड़ की राशि है जिसको डायवर्ट किया गया है?

यदि भारत के प्रधान मंत्री विवादास्पद और अपारदर्शी कोष में चीनी कंपनियों से सैकड़ों करोड़ के दान को स्वीकार करके अपनी स्थिति से समझौता करेंगे, तो वह किस प्रकार चीन के आक्रामक नीतियों का विरोध करेंगे करेगें या चीन के ख़िलाफ़ कार्यवाही करेगें।

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