सिटी पोस्ट लाइव : इनदिनों देश में कोरोना से भी बड़ी समस्या चीन और भारत के रिश्तों में खटास पैदा होना है. इसके लिए देश के प्रधानमंत्री ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. सर्वदलीय बैठक में जहां सोनिया गांधी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, तो वहीं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी इस मुद्दे पर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोल रहे हैं। शनिवार को राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने चीन की आक्रामकता के सामने भारतीय हिस्से को सरेंडर कर दिया। राहुल गांधी के इस बयान को लेकर अब गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया है। अमित शाह ने एक सैनिक के पिता का वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा, ‘सेना के एक बहादुर जवान के पिता बोल रहे हैं और ये राहुल गांधी के लिए एक बहुत स्पष्ट संदेश है। ऐसे वक्त पर, जब पूरा देश एकजुट होकर खड़ा है, उस समय राहुल गांधी को भी ओछी राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और राष्ट्रहित में एकजुटता दिखानी चाहिए।’
A brave armyman’s father speaks and he has a very clear message for Mr. Rahul Gandhi.
At a time when the entire nation is united, Mr. Rahul Gandhi should also rise above petty politics and stand in solidarity with national interest. https://t.co/BwT4O0JOvl
— Amit Shah (@AmitShah) June 20, 2020
बता दें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में सवाल पूछते हुए लिखा था, ‘चीन की आक्रामकता के सामने प्रधानमंत्री ने भारत की सीमा को सरेंडर कर दिया। अगर वो हिस्सा चीन का था तो हमारे सैनिक शहीद क्यों हुए? और वो कहां शहीद हुए?’ राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को भी कोट किया, जो उन्होंने सर्वदलीय बैठक में दिया। पीएम मोदी ने शुक्रवार को ही गलवान घाटी के मुद्दे को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा कि ना तो कोई हमारी सीमा के अंदर है और ना ही हमारी किसी पोस्ट पर कब्जा किया गया है। जिसके बाद इस बात को लेकर पीएमओ की तरफ से पर सफाई पेश की गई.
पीएमओ की तरफ से कहा गया है कि ‘पीएम ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा की ओर चीनी सेना की कोई मौजूदगी न होने वाली टिप्पणियां सशस्त्र बलों की वीरता के बाद के हालात से जुड़ी हैं।’ पीएमओ ने कहा कि ‘सैनिकों के बलिदानों ने ढांचागत निर्माण और 15 जून को गलवान में अतिक्रमण की चीन की कोशिशों को नाकाम कर दिया। ‘प्रधानमंत्री की टिप्पणी इस बारे में थी कि हमारे सशस्त्र बलों की बहादुरी के बाद एलएसी पर हमारी सीमा के भीतर कोई चीनी मौजूदगी नहीं थी।’