सिटी पोस्ट लाइव : रविवार यानि कल 21 जून को सूर्यग्रहण लग रहा है.धर्म के जानकारों के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र (Mrigashira nakshatra) और मिथुन राशि में इस साल का पहला और आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा .यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा. ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के अनुसार चूड़ामणि योग में रविवार सुबह 10.27 से 1.52 बजे तक सूर्य ग्रहण (solar eclipse) रहेगा. आषाढ़ कृष्ण पक्ष के दौरान ये सूर्य ग्रहण चूड़ामणि योग में खंडग्रास में होगा. इस सूर्य ग्रहण को लेकर ऐसी ज्योतिषीय भविष्यवाणी सामने आ रही है कि ग्रहण खतरनाक होगा. मंगल पर शनि की दृष्टि रहेगी और छ: ग्रह वक्री चाल में रहेंगे. जानकारों के अनुसार यह एक चमत्कारी खगोलीय घटना (Astronomical event) है.
इस वर्ष भारत में दिखने वाला एकमात्र सूर्य ग्रहण कंकण सूर्य ग्रहण होगा. यह पूरे देश में खग्रास रूप में नजर नहीं आएगा. कुछ स्थानों पर लोग इसे खंडग्रास के रूप में देख पाएंगे. भारत में मसूरी, टोहान, चमोली, कुरुक्षेत्र, देहरादून में यह ग्रहण कंकण रूप में नजर आएगा जबकि कई नगरों में ग्रहण का प्रतिशत अलग अलग होगा और खंडग्रास के रूप में दिखेगा. बिहार में भी यह पार्सियल दिखेगा और पटना में सुबह 10.37 बजे से दोपहर 14.09 बजे तक दिखेगा. जबकि दिल्ली में ग्रहण के दौरान सूर्य का 95% हिस्सा कटा हुआ दिखेगा.
ज्योतिषाचार्य दीपक मिश्र के अनुसार सुबह 10.27 बजे से सूर्यग्रहण शुरू होगा और इसे दोपहर 1.52 मिनट तक देखा जा सकेगा. ग्रहण का सूतक 9 से 12 घटे पहले से शुरू हो जाएगा. सूतक शनिवार रात 10.14 बजे से शुरू होगा. सूतक के समय पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं. इस समय में सिर्फ मंत्र जाप कर सकते हैं.ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.राजनाथ झा ने केअनुसार बिहार में रविवार को सुबह 10.27 से 1.52 बजे तक इसे देखा सा सकेगा. इस सूर्य ग्रहण से किसी को डरने कि जरूरत नहीं है. आषाढ़ अमवस्या के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण चूड़ामणि योग मृगशिरा नक्षत्र मिथुन राशि में लग रहा है. 26 दिसंबर 2019 को लगे सूर्य ग्रहण से जो ग्रह गोचर कि स्थिति बिगड़ गई थी. उसी वजह से 2020 में अब तक लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्राकृतिक आपदाएं हों या फिर संक्रमण से जनित बीमारियां हों या फिर सामाजिक-राजनैतिक उथल- पुथल और राष्ट्रीय -अंतराष्ट्रीय परेशानियां सभी गृह नक्षत्रों के प्रभाव के कारण ही पैदा हुई हैं..
दीपक मिश्र के अनुसार वर्तमान में आकाशमंडल में रहस्यमयी बीमारी, कूटनीति और विश्वासघात अपरोक्ष शत्रु से राष्ट्र को परेशानियां हैं. जिसका कारक मिथुन राशि में विराजमान है जो 25 सितंबर तक रहेगा. यानी 25 सितंबर के बाद राष्ट्र को इन आपदाओं से निजात मिल पाएगी. इस अवधि के बाद ग्रहों की अनुकूलता से उर्जा का संचार होगा जो राज्य और राष्ट्रहित में होगा.दीपक मिश्र के अनुसार ग्रहण के शुरू होने से पहले स्नान कर लेना चाहिए,, मध्य में हवन करना चाहिए और इश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए.सूर्य ग्रहण ख़त्म होने के बाद स्नान-दान करना चाहिए.
ग्रहण में स्नान कि महिमा बताते हुए कहा गया है कि -सर्वगंगा समं तोये सर्वे ब्रह्मसमाद्विजा: सर्वभूमि समं दानं द्रष्टयोश्चन्द्रसूर्ययो:. मतलब ग्रहण में सभी जल गंगा जल के समान पवित्र होता है. सभी द्विज ब्रह्म स्वरुप होते हैं. सभी प्रकार के दान भूमिदान के समान फल देने वाले हैं.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय अन्न-पानी ग्रहण करना मना है. यहां तक कि शास्रों में मलमूत्र त्याग तक मना है. वहीं बच्चों, वृद्ध, रोगी इस नियम से मुक्त रखा गया है. प्रसूती के लिए कहा गया है अपने घरों में खाने में तुलसी, कुशा डाल कर रखें. इससे अन्न अपवित्र नहीं होता है. सूतक काल में ग्रहण खत्म होने तक योग, जप,ध्यान, पूजा, इष्ट का ध्यान करें इसका अनंत फल शास्त्रों में बताया गया है.