सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजनीति प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborer) पर केन्द्रित हो गई है. विपक्ष प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर लगातार सरकार की घेराबंदी में जुटी है. सरकार मजदूरों को अपने साथ खड़ा करने के लिए जी-जान से जुटी है. दरअसल, ईन गरीबों की चिंता किसी को नहीं, सबको उनके वोट बैंक की चिंता है. अब बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने ईन प्रवासी मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल कराने की विशेष मुहीम की शुरुवात करने जा रहा है. ऐसे में सभी प्रवासी मजदूरों के पास वोट की ताकत हो जायेगी. उनकी यहीं ताकत उनके बारे में पक्ष-विपक्ष के नेताओं को उनके बारे में सोंचने को विवश कर रही है.
राज्य निर्वाचन आयोग ने बाहर से आए प्रवासी मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने को लेकर विशेष अभियान शुरू करने जा रहा है. राज्य चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवासन (Chief Electoral Officer HR Srinivasan) ने कहा है कि कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच बिहार आए सभी प्रवासी मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट (Voter list) में शामिल करने के लिए चुनाव आयोग विशेष अभियान चलाएगा. जिन मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं है उनका नाम शामिल किया जाएगा. जाहिर है ये प्रवासी मजदूर इस बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में प्रवासी मजदूर एक अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं.
सरकार की सबसे बड़ी चुनौती कोरोना के इस जंग के बीच इन प्रवासी मज़दूरों के लिए रोज़ी रोटी का इंतज़ाम करना है. इनके लिए रोजिई रोटी का जुगाड़ करना है. अगर सरकार इसमें विफ़ल होती है तो विपक्ष को एक बड़ा मौक़ा मिल जाएगा. ये दीगर बात है कि चुनाव बाद इनकी याद किसी को नहीं आनेवाली है. जेडीयू सांसद ललन सिंह का कहना है कि राज्य में मजदूरों के इस पलायन और बदतर हालात के लिए RJD का शासन ज़िम्मेदार है. नीतीश कुमार के शासन में तो इनका विश्वास बढ़ा है. बिहार आए मज़दूर ये कह रहे हैं कि वो अब बाहर जाना नहीं चाहते हैं. राज्य सरकार इनके रोज़गार के लिए कई कदम उठा रही है.
सरकारी आंकड़े के हिसाब से कोरोना संकट के बीच 30 लाख से अधिक प्रवासी मज़दूर बिहार पहुंच चुके हैं. हालांकि इनमें से काफ़ी मज़दूरों का नाम पहले से वोटर लिस्ट में जुड़े भी होंगे, पर जो बचे हुए हैं उनके नाम अब जोड़े जाएंगे. लेकिन एक साथ इतनी संख्या में चुनाव के वक्त ये मज़दूर कभी नहीं रहे हैं. ऐसे में एक एक मज़दूर और उसके परिवार को जोड़ दें तो ये आंकड़ा काफ़ी बड़ा हो जाता है. यानी बिहार चुनाव के लिए ये मज़दूर काफ़ी बड़ा वोट बेंक साबित होने वाले हैं. इसे भांपते हुए विपक्ष इस ताक में है कि कैसे इस वोट बेंक को सरकार के ख़िलाफ खड़ा किया जाए. यही वजह है कि बिहार में प्रवासी मज़दूर हॉट केक बने हुए हैं. राजनीतिक पार्टियां सुबह से शाम इसी मुद्दे पर अपनी सियासत चमका रही हैं. ऐसे में ये साफ़ है कि चुनाव आयोग का ये फ़रमान आने वाले दिनों में इसे और हवा देगा.