सिटी पोस्ट लाइव : 100 रोटी, 80 लिट्टी, 10 प्लेट चावल, ये खुराक है एक क्वारेंटाइन सेंटर के एक प्रवासी मजदूर का.पुरे देश भर से प्रवासी मजदूरों का बिहार पहुँचने का सिलसिला जारी है.अबतक 18 लाख से ज्यादा प्रवासी आ चुके हैं. क्वारंटाइन सेंटर की देखरेख कर रहे अधिकारी इन प्रवासी मजदूरों की खुराक को लेकर परेशान हैं. उन्हें प्रवासी मजदूरों की संख्या के आधार पर राशन मिलता है ,लेकिन ऐसे मजदूर जो अकेले दस दस मजदूरों का खाना खा जा रहे हैं, उनका सारा हिसाब किताब बिगाड़ दे रहे हैं.
ये खुराकमंत्री हैं एक प्रवासी जो बक्सर के रहनेवाले हैं.इनका नाम अनुप ओझा है.उम्र महज 21 साल लेकिन खुराक दस लोगों की है.अपने खुराक को लेकर ही ये पूरे देश में चर्चा में आ गए हैं. बक्सर के मंझवारी के राजकीय बुनियादी विद्यालय में बने क्वारेंटाइन केंद्र में रह रहे अनुप ओझा का भोजन जुटाने में विभाग से ज्यादा रसोईयों का पसीना छूटता है.गर्मी में रोटी बनाते बनाते तो पसीने से तरबतर हो जाते हैं लेकिन ये खाते खाते नहीं थकते. रोटी की हो या फिर चावल की अनुप का डाइट आम आदमी से 10 गुना है. हद तो तब हो गई जब अनूप ने सेंटर पर एक दिन रात के भोजन में बिहार के मशहूर भोजन यानी लिट्टी-चोखा के मेन्यू में 85 लिट्टियां हजम कर ली.
अनुप आम तौर पर भी एक बार में आठ-दस प्लेट चावल या 35-40 रोटी के साथ दाल-सब्जी खाते हैं. युवक की डायट को लेकर गड़बड़ी की आशंका हुई तो खुद अंचलाधिकारी भी युवक से मिलने पहुंचे. लेकिन उसका खाना देख वो भी दंग रह गए.अनुप बक्सर जिला के ही सिमरी प्रखंड के खरहाटांड़ गांव निवासी गोपाल ओझा के पुत्र हैं और एक सप्ताह पहले ही अपने घर जाने के क्रम में क्वारंटाइन केंद्र में आए हैं. परिजनों ने बताया कि अनुप लॉकडाउन से पहले राजस्थान रोजी-रोटी की तलाश में गए थे. लेकिन इसी दौरान पूरा देश लॉकडाउन हो गया और वो डेढ़ महीने से ज्यादा समय तक राजस्थान में ही फंसे रहे.
अनुप जिस केंद्र में हैं वहां 87 प्रवासी रह रहे हैं. लेकिन खाना 100 से अधिक लोगों का बनता है. अनुप के गांव के लोगों की भी कहना है कि वो शुरू से ही अधिक खाते हैं. शर्त लगाने पर वो एक बार में करीब सौ समोसे खा जाते हैं. फिलहाल अंचलाधिकारी द्वारा मामले की पड़ताल करने के बाद केंद्र पर प्रतिनियुक्त कर्मियों को उन्हें भरपूर भोजन देने का निर्देश दिया गया है.