कोयला क्षेत्र में निजी क्षेत्र के विनिवेश का मजदूर यूनियनों ने किया विरोध

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कोयला क्षेत्र में निजी क्षेत्र के विनिवेश का मजदूर यूनियनों ने किया विरोध

 

सिटी पोस्ट लाइव, गोड्डा:  केंद्र सरकार द्वारा कोयला उत्पादन एवं बिक्री के अधिकार सहित कोल ब्लॉक के निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने का जिले के अंतर्गत कार्यरत ईसीएल के राजमहल एरिया के तमाम मजदूर यूनियनों ने विरोध किया है। ज्ञात हो कि गत दिनों वित्त मंत्री ने कोल इंडिया के एकाधिकार को समाप्त कर निजी क्षेत्रों के लिए विनिवेश के रास्ते खोले जाने की स्वीकृति दी है। इस फैसले का असर संथाल परगना के भी कोयला ब्लॉक पर भी होंगे इसको लेकर कोयला कामगारों सहित तमाम यूनियनों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। एक बिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार ने निधि क्षेत्र को ₹50000 करोड़ रुपये के विनिवेश की योजना बनाई है। इस संबंध में कई मजदूर यूनियनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय मजदूर संघ के वरीय मजदूर नेता डॉ बीके राय ने इस संबंध में कहा है कि बीएमएस इस प्रकार के प्रस्ताव की आरंभ से ही विरोधी रही है तथा इसका आगे भी विरोध किया जाएगा। सीटू के राधेश्याम चौधरी ने कहा कि मजदूरों के लिए अब संघर्ष का समय सामने आ गया है सरकार कोयला क्षेत्र को निजी क्षेत्र में देकर मजदूरों के शोषण की निति पर काम शुरू की है।

वही एचएमएस के अरविंद पांडे ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि संगठन उच्च स्तर पर इस संबंध में जल्द ही निर्णय ले रही है तथा ऐसे प्रस्ताव का अवश्य ही विरोध किया जाएगा। झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के मिस्त्री मरांडी ने भी इस प्रकार के मजदूर विरोधी नीति का विरोध करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि शीर्ष स्तर पर इस संबंध में जल्द ही निर्णय लिए जाएंगे। दरअसल झारखंड कुल 22 कोल ब्लॉक पर इसका असर पडना अवश्यंभावी है। निजी क्षेत्र को खनन एवं बिक्री कि अधिकार मिलने के बाद अब कोल ब्लॉक आवंटन करने के निर्णय सरकार ने कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए सुस्त अर्थव्यवस्था में गति देने के लिए करने की बात कही है। ऐसाा किए जाने के पश्चात कोयला उत्पादन के लिए कोल इंडिया का एकछत्र साम्राज्य समाप्त हो जाएगा।

 

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