लॉकडाउन में स्वच्छ और निर्मल हो गई गंगा, डॉल्फिन मछलियां करने लगी अठखेलियां
सिटी पोस्ट लाइव : हजारों करोड़ रूपये सरकार गंगा की सफाई में बहा चुकी है लेकिन आजतक गंगा साफ़ नहीं हुई.लेकिन कोरोना के संक्रमण को लेकर किये गए दो महीने के लॉक डाउन में ही गंगा खुद स्वच्छ और साफ़ हो गई.यानि ये आपदा प्रकृति के लिए वरदान साबित हुई है. भारत की लाइफलाइन और आस्था की नदी गंगा नदी (Ganga River) के साथ. 50 से अधिक दिनों के लॉकडाउन (Lockdown) के कारण गंगा निर्मल और स्वच्छ हो गई है.
गंगा नदी का पानी इतना साफ हो गया है कि गंगा में अठखेलियां और स्वच्छंद रूप से विचरण करने वाली डॉल्फिन (Dolphin) भी दिखने लगी हैं. दरअसल 25 मार्च से देश में लागू लॉकडाउन के कारण गंगा किनारे स्थित कल-कारखानों के बंद हो जाने से गंगा में इन फैक्ट्रियों का वाहित अपशिष्ट पदार्थ गिरना बंद हो गया है. गंगा में नौकाओं के आवागमन में भी कमी आई है, जिससे गंगा का पानी निर्मल दिखाई देने लगा है.
गंगा की स्वच्छता के बीच सबसे सुखद एहसास यह है कि गांगेय डॉल्फिन जो दिखना बंद हो चुकी थीं वो भी अब गंगा में दिखने लगी हैं. मछलियों का झुंड उन्मुक्त होकर गंगा में अठखेलियां करता दिखाई दे जाता है. लल्लू पोखर, कंकड़ घाट से लेकर मुंगेर-खगड़िया रेल सह सड़क पुल के आसपास के क्षेत्र में गांगेय डाल्फिन दिख रही हैं. मुंगेर रेंज के डीएफओ नीरज नारायण ने बताया कि लॉकडाउन के कारण जहां गंगा में प्रदूषण कम हुआ है, तो वहीं नावों के परिचालन पर रोक से गंगा साफ हो गई है. यही वजह है कि डॉल्फिन हो या अन्य जलीय जीव, गंगा में विचरण करते दिखाई दे रहे हैं.
लॉकडाउन के कारण मुंगेर जिले में गंगा का जल 80 प्रतिशत शुद्ध हो गया है. इसका एक कारण ये भी है कि गंगा किनारे मंदिर और पूजा स्थलों में लोगों का आना बंद हो गया है इस कारण लोगों ने गंगा में पूजा सामग्री फेंकना भी बंद कर दिया है. साथ ही लोगों के गंगा में स्नान करने में भी कमी आई है. शहरवासी संजीव मंडल और कौशल किशोर पाठक कहते हैं कि पहली बार हमने देखा जब जिंदगी ठहर जाती है, लोगों का आवागमन रुक जाता है, कल-कारखाने बंद हो जाते हैं तब हमारी मां गंगा कितनी पवित्र हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि कई सालों बाद गंगा की तलहटी दिखी और जलीय जीवों को विचरते देखा.